आंध्र प्रदेश के तिरुपति बालाजी मंदिर के लड्डू में जानवरों की चर्बी और मछली का तेल मिलाने की रिपोर्ट सामने आने के बाद अयोध्या के संतों में भयानक गुस्सा है। राम मंदिर में 22 जनवरी को जब भगवान रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की गई थी तब तिरुपति से आए प्रसादम एक लाख लड्डू अतिथियों के बीच बांटे गए थे। तिरुपति बालाजी से राम मंदिर के उद्घाटन के मौके पर खास तौर पर बनाए गए तीन टन लड्डू आए थे। राम मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने एक लैब की जांच में लड्डू में जानवरों की चर्बी और मछली का तेल मिलने की रिपोर्ट पर कहा कि सरकार गंभीरता से इसकी जांच कराए और दोषियों को दंड दे।
आचार्य सत्येंद्र दास ने कहा कि ये बहुत दुखदायी बात है और करोड़ों लोगों की आस्था के ऊपर आघात है। उन्होंने आशंका जाहिर की है कि सनातन धर्म पर चोट पहुंचाने के लिए अंतरराष्ट्रीय साजिश का यह हिस्सा हो सकता है इसलिए सरकार इसकी ठीक से जांच करे और पता लगाए कि इसमें कोई विदेशी साजिश है या ये देश के लोगों की ही करतूत है। मुख्य पुजारी दास ने कहा कि तिरुपति बालाजी के लड्डू की बहुत प्रसिद्धि है। जिसने भी ऐसा घृणित काम किया है, वो बहुत ही भयंकर अपराधी है, देशद्रोही है। दास ने कहा कि लड्डू में कब से ये सब मिलाया जा रहा है, पता नहीं है। उन्होंने कहा कि सरकार सुनिश्चित करे कि ऐसी घटना आगे ना हो।
आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने बुधवार को विधायकों की मीटिंग में कहा था कि जगन मोहन रेड्डी सरकार के कार्यकाल में तिरुपति बालाजी मंदिर के लड्डू में शुद्ध घी के बदले जानवरों की चर्बी का इस्तेमाल हो रहा था। गुरुवार को नायडू की तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) के प्रवक्ता अनम वेंकट रमण रेड्डी ने संवाददाता सम्मेलन बुलाकर गुजरात की एक लैब की रिपोर्ट सामने रखी थी। गुजरात के आणंद में राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (एनडीडीबी) की इस लैब ने तिरुपति बालाजी मंदिर के लड्डू में इस्तेमाल घी के सैंपल की जांच की थी और कहा था कि इसमें कई जानवरों की चर्बी के साथ ही मछली का तेल भी मिलाया गया था।