देवरिया, विधि संवाददाता। बरियारपुर थाना क्षेत्र के जयप्रकाश सर्वोदय विद्यालय मेहरौना में बच्चों को
देवरिया, विधि संवाददाता। बरियारपुर थाना क्षेत्र के जयप्रकाश सर्वोदय विद्यालय मेहरौना में बच्चों को विषाक्त भोजन कराने वाले मैसर्स कन्हैया इंटरप्राइजेज के संचालक राजेश गुप्त की जमानत शुक्रवार को खारिज हो गई। अपर सत्र न्यायाधीश संजय सिंह की अदालत ने आरोपी को लोक सेवक के आदेश की अवज्ञा करने, विषाक्त भोजन कराकर विद्यार्थियों का जीवन संकटापन्न करने व उपेक्षा पूर्ण कार्य से नौनिहाल की हत्या करने के मामले में संलिप्तता पाये जाने पर जमानत देने से इनकार कर दिया ।
सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता आशुतोष सिंह ने बताया कि जयप्रकाश सर्वोदय आश्रम पद्धति विद्यालय मेहरौना के छात्रों को नाश्ता व भोजन करने की जिम्मेदारी मेसर्स कन्हैया इंटरप्राइजेज चौरी चौरा जनपद गोरखपुर के संचालक राजेश को दी गई थी । लेकिन राजेश गुप्ता ने उपेक्षा पूर्ण कार्य करते हुए 4 अगस्त 24 को दोपहर में बना बासी भोजन रात में बच्चों को खिला दिया ।जिससे लगभग 80 छात्रों की तबीयत खराब हो गई ।
सूचना पर तत्काल रामपुर कारखाना प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के डॉक्टरों की टीम विद्यार्थियों का इलाज की लेकिन स्थिति गंभीर होने के कारण उन्हें मेडिकल कॉलेज देवरिया भेजा गया । एक छात्र की तबीयत काफी खराब होने के कारण उसे गोरखपुर मेडिकल कॉलेज भेजा गया जहां इलाज के दौरान मृत्यु हो गई ।
जिला समाज कल्याण अधिकारी देवरिया की सूचना पर फर्म के संचालक राजेश गुप्ता के विरुद्ध हत्या व लोक सेवक के आदेश की अवहेलना करने, उपेक्षा पूर्ण कार्य से दूसरों का जीवन संकटापन्न करके हत्या करने के मामले में प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कराई। आरोपी राजेश गुप्ता की जमानत प्रार्थना पत्र पर बल देते हुए उनके अधिवक्ता ने तर्क दिया कि राजेश गुप्ता का इस घटना में कोई दोष नहीं है क्योंकि भोजन जांच कमेटी की जांच के बाद ही बच्चों में वितरित किया जाता है।
ऐसे में यदि जांच कमेटी ने अपने पदीय कर्तव्यों का निर्वहन ठीक ढंग से नहीं किया तो इसके लिए जांच कमेटी दोषी है लेकिन अदालत ने बच्चों में अविश्वास एवं भय का वातावरण उत्पन्न करने, शैक्षणिक माहौल पर प्रतिकूल प्रभाव डालने व उपेक्षा पूर्ण कार्य से बच्चों के जीवन संकटापन्न करने व उनकी हत्या करने के मामले में संचालक की संलिप्त ता पाए जाने तथा विवेचना को प्रभावित किए जाने में उसकी भूमिका को देखते हुए जमानत देने से इनकार कर दिया।