लखीमपुर में ऑपरेशन टाइगर के 12 दिन बाद भी वन विभाग के हाथ कोई बड़ी सफलता नहीं लग सकी है। 27 अगस्त के बाद से बाघ ने न तो इंसानों पर हमला किया है और न ही किसी जानवर का शिकार किया है। आशंका है कि अब बाघ भूखा है। ऐसे में अब बाघ गन्ने के खेत से निकलकर बाहर आ सकता है। उधर, वन विभाग ने कानपुर प्राणी उद्यान से एक्सपर्ट डॉ. नितिन कटियार को भी अभियान के लिए बुला लिया है। मंगलवार को सर्च अभियान में भी वह शामिल रहे।
गौरतलब है कि 27 अगस्त की शाम को इमलिया गांव के अमरीश को बाघ ने निवाला बना लिया था। 28 तारीख से वन विभाग की टीम ने इमलिया गांव में डेरा डाल रखा है। बाघ को ट्रैंकुलाइज करने के लिये पीलीभीत से एक्सपर्ट दक्ष गंगवार अपनी टीम के साथ आये लेकिन उन्हें भी कोई सफलता नहीं मिली तो वह भी वापस चले गये। अब कानपुर चिड़ियाघर से एक्सपर्ट नितिन कटियार इमलिया में मौजूद बाघ को ट्रैंकुलाइज करने का जिम्मा संभालेंगे। हालांकि इनके आने से पहले मंगलवार सुबह आठ बजे एसडीओ अभय प्रताप सिंह इमलिया गांव पहुंच गए। उन्होंने वन विभाग की टीम के साथ इमलिया गांव के चारों ओर उस जगह को देखा, जहां-जहां बाघ के ताजे पगमार्क देखने को मिल रहे थे।
जानकारों का कहना है कि 27 अगस्त के बाद बाघ ने तो किसी पर हमला किया और न ही किसी बड़े जानवर का शिकार किया है। हालांकि दो दिन बाद तीन बकरियों के मारे जाने की खबर आई थी। जानकारों का कहना है कि अब बाघ भूखा हो सकता है। इस हालत में वह गन्ने के खेत से निकल सकता है और वन विभाग की टीमइसीताकमेंहै।
प्रभावित गांवों में कांबिंग जारी
प्रभावित गांवों अजान, इमलिया, घरथनियां, हैदराबाद, खरगापुर, बघमरा, मूड़ा, काजरकोरी एवं जमालपुर में पैदल गश्त, ड्रोन कैमरे के माध्यम से बाघ की उपस्थिति तलाशी गई। जमालपुर के पूर्व में बाघ के पगमार्क देखे गये। पगमार्क देखे जाने की दशा में वनकर्मियों ने क्षेत्रवासियों से सतर्क रहने की अपील की। उधर, बाघ को ट्रैक करने के लिए दुधवा नेशनल पार्क से आठ सदस्यीय दल भी घटनास्थल पर पहुंचा है।
अब बघमरा में रखा गया पिंजरा
गोला गोकर्णनाथ में वन विभाग के अधिकारी रोज बाघ पकड़ने के लिए ऑपरेशन टाइगर चला रहे हैं। वहीं, बाघ पकड़ने का पिंजरा कई दिन से बघमरा गांव में ट्रॉली पर रखा गांववालों को मुंह चिढ़ा रहा है।