देवरिया, हिन्दुस्तान टीम। इस साल खरीफ में मौसम ने दगा दे दिया है। जून और अगस्त महीने में औसत से बहुत कम बरसात हुई है। जून में 13.32 तथा अगस्त में 35.4 फीसदी बरसात हुआ है। खरीफ के दौरान जुलाई में मौसम ने कुछ साथ दिया और 82 फीसदी बरसात हुई। अगस्त महीने में मामूली बरसात होने तथा सितंबर में तेज धूप होने से खरीफ की फसलें सूखने लगी हैं।
इस बार किसानों से मानसून रूठ सा गया है। खरीफ सीजन के शुरूआत से ही मौसम दगा दे रहा है। किसानों ने पंपसेट से पानी चलाकर धान की नर्सरी तैयार की। हालांकि जून महीने में तपती धूप और भीषण गर्मी से किसानों को नर्सरी तैयार करने में 12 से 14 बार सिंचाई करनी पड़ी। किसानों को उम्मीद थी कि मानसून आने पर बरसात शुरू होगी। लेकिन पूरा जून महीना सूखा ही रहा। इससे किसानों को पंपसेट व नहरों के पानी से धान की रोपाई करनी पड़ी। उन्हे उम्मीद थी कि मानसून आने के बाद बरसात होने पर धान की फसल अच्छी होगी। काफी इंतजार के बाद 30 जून को मानसून ने दस्तक दिया। इसके बाद 11 जुलाई तक रूक-रूक कर बरसात होती रही। मानसून के दस्तक देने वाले जून में महज 13.32 फीसदी बरसात हुई। हालांकि जुलाई में सामान्य के सापेक्ष 82.02 फीसदी बरसात होने से फसलों को कुछ राहत मिली। लेकिन अगस्त महीना किसानों को दगा देने वाला साबित हुआ। इस महीने में हर रोज आसमान में बादल उमड़ते-घुमड़ते रहे, लेकिन छिटपुट ही बरसात हुई। कृषि विभाग के आंकड़े के अनुसार इस महीने 35.04 फीसदी ही बरसात हुआ है। बरसात कम होने से खरीफ की मुख्य फसल धान समेत अन्य फसलों में खरपतवार काफी बढ़ गया। जिसे निकलवाने में किसानों को काफी मजदूरी खर्च करना पड़ा। बरसात होने पर खेतों में पानी लगने पर घास कम होता है। बरसात नहीं होने से नहरी इलाकों को छोड़कर अधिकांश फसलों की बढ़वार रूक सी गयी है। सितंबर महीना में तेज धूप व भीषण गर्मी से धान समेत खरीफ की अन्य फसलें मुरझाने लगी है और खेत में दरारें फट गयी है। मौसम के दगा देने से किसानों को अपनी पूंजी डूबने की चिंता सताने लगी है।
जून, जुलाई और अगस्त में कितनी हुई बरसात
मुख्य रूप से जून से लेकर अगस्त तक बरसात का सीजन माना जाता है। इस साल जिले में जून महीने में 159.10 एमएम की जगह मात्र 21.20 एमएम, जुलाई माह में 308.20 एमएम की जगह 252.80 एमएम तथा अगस्त महीने में 299.20 एमएम की लगह मात्र 105.80 एमएम बरसात हुई है। तीन महीने में एक भी माह में औसत वास्तविक बरसात नहीं होने से फसलों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है।