बरहज(देवरिया), हिन्दुस्तान टीम। सरयू और राप्ती की बाढ़ से भले ही प्रभावित गांवों विशुनपुर देवार, परसिया देवार, भदिला प्रथम, कपरवार, रगरगंज, पैना, नरियाव सहित आधा दर्जन बाढ़ प्रभावित गांवों में अब राहत मिलती नजर आ रही है, लेकिन उसकी तबाही के निशान अब भी बाकी हैं। बाढ़ में अपना बहुत कुछ खो चुके ग्रामीणों के सामने अब घरों व खेतों में जमा सिल्ट निकालने की समस्या खड़ी हो गई है। बाढ़ प्रभावित गांवों के मुख्य मार्ग, संपर्क मार्ग, खेत व घरों में डेढ़ से दो फिट तक सिल्ट जमा हो चुकी है।
बाढ़ का पानी निकलने के बाद खेत की हालत देख कपरवार के अखिलेश सिंह, बृजेश यादव, कमलेश सिंह, बंशी यादव, जेपी यादव, सुबाश साहनी, प्रदीप सिंह, किशुन, नंदू, लल्लन, फेकू, जगदीश, महेश आदि किसानों ने बताया कि बताया कि इस वर्ष की बाढ़ ने गहरे जख्म दिए हैं। घर व खेत दोनों में बालू की मोटी परत जमी हुई है। विशुनपुर देवार की किरन ने बताया कि घर की सफाई करने में ही 15 से 20 दिन लग जाएंगे। राजकुमारी, केशव आशियाने को फिर से आबाद करने की कवायद में जुटे दिखाई दिए। उन्होंने बताया कि करीब तीन बीघे की खेती में दो से तीन फिट मोटी सिल्ट जमी है।
इस वर्ष की खेती बर्बाद हो गई है। आगे परिवार का भरण पोषण कैसे होगा, यह भगवान भरोसे है। शिवकुमारी, बेचनी देवी बाढ़ का जिक्र करते ही फफककर रोने लगी। बताया कि बटाई पर खेती लेकर दो हजार रुपये उधार लिए तब फसल लगाई थी। घर व खेत में बालू जमा है, कैसे क्या करें कुछ समझ नहीं आ रहा। यही हाल मुन्नू, प्रवेश व प्रदीप के घरों में भी दिखाई दिया। बाढ़ का पानी निकलने के बाद भी पीड़ितों की मुसीबतें खत्म नहीं हुई हैं। घरों में जमा सिल्ट हटाना इनके लिए बड़ी चुनौती है।
खेत को दुरुस्त करना भी चुनौती
विशुनपुर देवार के प्रधान ओमप्रकाश कहते हैं कि दियारा में लगभग पांच सौ एकड़ खेती योग्य जमीन पर कई फिट मोटी सिल्ट जमी है। पानी के बहाव के साथ आई चिकनी मिट्टी, पेड़ पौधों के अवशेष आदि के कारण शीघ्र खेती करना संभव नहीं है। फसलों के नुकसान का सर्वे करवाकर उचित मुआवजा पीड़ितों के जख्मों पर कुछ मरहम का काम कर सकता है।
बोले एसडीएम
सरयू का जलस्तर लगातार कम हो रहा है। अब बाढ़ जैसे हालात नहीं हैं। फसल के नुकसान का सर्वे करवाकर उचित मुआवजा दिलवाने का प्रयास किया जाएगा। इसके लिए क्षेत्रीय लेखपाल तथा कानूनगो को जिम्मेदारी दी जाएगी।
-अंगद यादव उपजिलाधिकारी बरहज।