संवाददाता। विजय कुमार अग्रहरी।
सोनभद्र। ओबरा तहसील क्षेत्र अंतर्गत खनन क्षेत्र बिल्ली मारकुण्डी में नियमों को ताक पर रखकर खनन करना कोई नई बात नहीं है लेकिन जान जोखिम में डालकर खनन करना कानून अपराध है और अपराध की श्रेणी में आने के बावजूद खनन माफिया गरीब मजदूर को दो पैसे की लालच देकर खतरनाक काम कराने से बाज नहीं आ रहे है। बात की जाए संबंधित खदानों की तो जहां काम करने वाले मजदूर की आमदनी 10 से 15000 महीने की होगी तो वहीं लीज धारक की महीने की कमाई का अंदाजा भी लखनऊ में बैठे सरकारी नुमाइंदे भी नहीं लगा सकते। बिल्ली खनन क्षेत्र में 24 घंटा खनन की बात करने पर खनन अधिकारी दो टूक जवाब देते है कि खनन चौबीसों घण्टा हो सकता है। जानकार बताते है कि खनन अधिकारी झूठ बोल रहे है बिना पर्याप्त रोशनी के आप खनन क्षेत्र में भी नहीं जा सकते। खनन अधिकारी ठहरे खनन अधिकारी नियम तो ज्यादा उनको ही पता होगा। खनन क्षेत्र में तमाम नियम को दरकिनार करने वालों पर पैनी नज़र रखने वाले अभिषेक अग्रहरी का कहना है कि नियम बनता ज़रूर है लेकिन अधिकारी नियमों की धज्जियां उड़ा देते है। लाख पत्राचार करने और नियम कानून देने के बावजूद खनन विभाग सीधे से अवैध खनन और मजदूरों की सेफ्टी की बात सिरे से नकार दे रहा और क्षेत्र वासियों को प्रदूषण की जो मार झेलनी पड रही वो अलग है वही अगर सूत्रों की माने तो सोनभद्र में पूरे अबैध खनन के कार्य मे अधिकारियों की मिली भगत से अबैध खनन का कार्य किया जा रहा है चाहे वो एमएमक्यू 11 की बात हो या गाड़ी पास कराने की बात हो सोनभद्र जिले मे यह बात आम तौर पर बिना मिली भगत का कैसे संभव हो सकता है।