संवाददाता। संजीव कुमार शुक्ला।
सोनभद्र। बाल अधिकार संगठन क्राई ने शुरू किया पूरी पढ़ाई देश की भलाई अभियान –भारत में प्रत्येक लड़की को 12 वीं तक की शिक्षा सुनिश्चित करने की आवश्यकता को देखते हुए भारत में अग्रणी बाल अधिकार संगठन चाइल्ड राइट्स एंड यू क्राय ने पूरी पढ़ाई ,देश की भलाई अभियान शुरू किया भारत में लाखों लड़कियां स्कूल से बाहर हैं और उनकि शिक्षा माध्यमिक उच्च माध्यमिक की शिक्षा कि पहुंच से काफी दूर है क्राई का उद्देश्य लड़कियों के शिक्षा के प्रति जन जागरूकता और सामाजिक दृष्टिकोण में क्रांतिकारी बदलाव लाना है सामाजिक क्षेत्र में कार्य करने वाले हित धारक समूह को शामिल करके लक्षित हस्तक्षेप लागू करने शिक्षा की बधाओ को दूर करने और लड़कियों के लिए एक उज्जवल भविष्य का मार्ग प्रशस्त करना है सोनभद्र विकास समिति के संस्थापक सचिव तथा क्राई के सहयोगी राजेश चौबे ने जानकारी देते हुए बताया कि सोनभद्र जिले में कार्यक्रम की शुरुआत नगवां ब्लॉक से की गई है जो निर्धारित तिथि तक जारी रहेगी उत्तर प्रदेश में यह अभियान राज्य के विभिन्न जिलों के साथ भारत के 20 राज्यों में क्राय के हस्तक्षेप से परियोजनाओं में सोमवार को शुरू किया गया इस राष्ट्रव्यापी अभियान के तहत ॰क्राई और उसके सहयोगी संगठन जन जागरूकता रैलियां हस्ताक्षर अभियान और विभिन्न आउटरीच कार्यक्रम आयोजित करेंगे क्राई की मुख्य कार्यकारी अधिकारी पूजा मारवाह ने अभियान के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि बालिकाओं के लिए उच्च शिक्षा माध्यमिक शिक्षा सुनिश्चित करना उनके सशक्तिकरण के लिए अपरिहार्य है बल्कि यह राष्ट्र के समग्र विकास का भी अनिवार्य अंग है प्राथमिक शिक्षा से आगे बढ़कर लड़कियों की शैक्षिक यात्राको सुदृढ़ करने हेतु संयोजित लक्ष्य और कार्य योजनाओं के साथ-साथ हस्तक्षेप भी आवश्यक है इस दिशा में कई महत्वपूर्ण पहलुओं पर ध्यान देना होगा जिनमें बालिका शिक्षा के लिए पर्याप्त सार्वजनिक संसाधन वित्तीय प्रोत्साहन सामुदायिक सहभागिता एवं बाल विवाह निरोधक कानून का कठोर क्रियान्वयन आवश्यक है तभी संभव हो सकेगा जबकि बालिका शिक्षा के प्रति जनजागरुकता उत्पन्न हो और समाज में इसकी गहरी अनुगुज हो क्राई के क्षेत्र निदेशक सोहा मोइत्रा ने इस पहल की तत्काल आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि 2009 का निशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार आरटीआई अधिनियम 14 वर्ष की आयु तक के भारतीय बच्चों के लिए सार्वभौमिक शिक्षा की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम था इस अप्रैल में जब हम इस अधिनियम की 15वीं वर्षगांठ मना रहे हैं तो हम मानते हैं कि कई लड़कियों की अभी भी माध्यमिक और उच्च माध्यमिक शिक्षा तक पहुंच नहीं है राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में 18 वर्ष की आयु तक सार्वभौमिक निशुल्क और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का विस्तार करने का मार्ग प्रशस्त किया जो 2030 तक समान शिक्षा के लिए सतत विकास लक्ष्य के अनुरूप है हालांकि नवीनतम ड्यूटी आईएससी प्लस 2021-22 के आंकड़े बताते हैं कि भारत में केवल पांच में माध्यमिक से तीन लड़कियां ही माध्यमिक शिक्षा स्तर तक पहुंचती हैं इसका मतलब है कि वर्तमान में केवल 58.02% लड़कियां ही उच्च माध्यमिक शिक्षा में नामांकित हैं क्रि द्वारा इसी डेटाबेस का गहन विश्लेषण करने पर और भी चिंताजनक तथ्य प्रकाश में आए हैं उत्तर प्रदेश में क्राई के जमीनी अनुभव से पता चलता है कि सामाजिक आर्थिक चुनौतियां संस्कृत मान्यताएं लिंग भेदभाव बाल विवाह पर्याप्त स्कूल सुविधा स्कूल दूर होना सुरक्षा संबंधी चिंताएं लड़कियों की शैक्षिक यात्रा में बाधा डालती है जो उच्च माध्यमिक शिक्षा पूरी करने में महत्वपूर्ण बाधाए हैं यह उच्च ड्रॉप आउट रिच का कारण बनती हैं और लड़कियों को बाल श्रम कम उम्र में विवाह किशोर गर्भावस्था में गर्भधारण दुर्व्यवहार शोषण और यहां तक की बाल तस्करी के प्रति अधिक असुरक्षित बनती हैं इन बधाओ के परिणाम स्वरुप न केवल स्कूल ड्रॉप आउट कि दर को बढ़ाती हैअपितु छात्राओ को अन्य गंभीर खतरों के प्रति अति संवेदनशील बना देती हैं इनमें बाल श्रम कम उम्र में विवाह किशोरावस्था में गर्भधारण दुर्व्यवहार शोषण एवं बाल तस्करी जैसे ज्वलंत समस्याएं सम्मिलित हैं इन मुद्दों से सीधे निपटने के लिए क्राई ने पूरी पढ़ाई देश की भलाई अभियान शुरू किया है जो 24 जून से शुरू होकर 15 अगस्त स्वतंत्रता दिवस तक चलेगा यह अभियान शिक्षा में लैंगिक असमानताओं को दूर करने के लिए सभी हित धारकों को शामिल करने का प्रयास करता है