संवाददाता – राजेश कुमार पाठक।
- 76 हजार रूपये अर्थदंड, न देने पर दो वर्ष की अतिरिक्त कैद भुगतनी होगी।
- तीन अन्य दोषियों को दो – दो वर्ष की कैद।
- तीन वर्ष पूर्व हुए श्री यादव हत्याकांड का मामला।
सोनभद्र। तीन वर्ष पूर्व हुए श्री यादव हत्याकांड के मामले में मंगलवार को सुनवाई करते हुए अपर सत्र न्यायाधीश प्रथम एहसानुल्लाह खां की अदालत ने दोषसिद्ध पाकर दोषी प्रमोद यादव को 10 वर्ष की कैद व 76 हजार रूपये अर्थदंड की सजा सुनाई। अर्थदंड न देने पर दो वर्ष की अतिरिक्त कैद भुगतनी होगी। वहीं तीन अन्य दोषियों को दो – दो वर्ष की कैद एवं 6-6 हजार रूपये अर्थदंड की सजा सुनाई। अर्थदंड अदा न करने पर तीन -तीन माह की अतिरिक्त कैद भुगतनी होगी। अभियोजन पक्ष के मुताबिक श्यामू यादव पुत्र स्वर्गीय श्री यादव निवासी निपराज, थाना राबर्ट्सगंज, जिला सोनभद्र ने एक दिसंबर 2020 को थाने में दी तहरीर में अवगत कराया था कि दोपहर दो बजे भैंस चराने उसकी चाची सुशीला अपने बेटे चंद्रबली के साथ मिल की तरफ जा रही थी। तभी उनका लड़का प्रमोद यादव के खलिहान में चला गया। इसी बात को लेकर प्रमोद यादव नाराज हो गया और गाली देने लगा। उस समय घर पर वह मौजूद नहीं था। जब शाम को पिता जी घर आए तो उसकी चाची ने सारी बात बताई। पिता जी ने कहा कि सुबह बात करेंगे। करीब साढ़े नौ बजे रात को गांव के प्रमोद यादव, बद्री यादव , हीरा यादव और राजू यादव लाठी डंडा लेकर उसके दरवाजे पर आ गए। आते ही गाली देते हुए मारने लगे। प्रमोद यादव ने उसके पिता को बेरहमी से मारपीट दिया। जिनके सिर में गंभीर चोट आई। दवा इलाज के लिए जिला अस्पताल ले जाया गया जहां डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया। लाश जिला अस्पताल में पड़ी है। आवश्यक कार्रवाई करें। इस तहरीर पर पुलिस ने एफआईआर दर्ज किया। मामले की विवेचना करते हुए विवेचक ने पर्याप्त सबूत मिलने पर कोर्ट में चार्जशीट दाखिल किया था। मामले की सुनवाई करते हुए अदालत ने दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं के तर्कों को सुनने, गवाहों के बयान व पत्रावली का अवलोकन करने पर दोषसिद्ध पाकर दोषी प्रमोद यादव को 10 वर्ष की कैद व 76 हजार रूपये अर्थदंड की सजा सुनाई। अर्थदंड न देने पर दो वर्ष की अतिरिक्त कैद भुगतनी होगी। वहीं तीन दोषियों बद्री यादव, हीरा यादव और राजू यादव को दो दो वर्ष की कैद और 6 – 6 हजार की कैद। अर्थदंड न देने पर तीन तीन माह की अतिरिक्त कैद भुगतनी होगी। अभियोजन पक्ष की ओर से अपर जिला शासकीय अधिवक्ता विनोद कुमार पाठक ने बहस की।