संवाददाता – विजय कुमार अग्रहरि।
ओबरा, सोनभद्र। शासन के मंशानुरुप व जनपद के जिलाधिकारी के लाख निर्देशों के बावजूद स्टोन मार्केट में परमिट (EMM11) की कीमतों पर खनिज विभाग रोक लगा पाने में सिफर साबित हो रहा है परमिट (EMM11) के दामों में जिस तरह से बेतहाशा बढ़ोत्तरी हो रही है इससे जुड़े स्टोन मार्केट के लोगों को हैरानी में डाल रखा है डाला ओबरा बिल्ली खनन क्षेत्र में चंद परमिट (EMM11) माफियाओं के बीच सिमटे इस सिंडिकेट द्वारा कीमतों के उतार चढ़ाव की बड़ी भुमिका बताई जा रही है विदित हो कि जनपद में डोलो स्टोन का एक बड़ा मार्केट है और छत ढलाई, पीलर निर्माण, सड़क निर्माण रेलवे सहित अन्य कार्यों में यहाँ की गिट्टी की भूमिका सबसे अहम मानी गयी है यही कारण है कि ओबरा डाला क्षेत्र में पाए जाने वाले डोलो स्टोन की पूरे पूर्वांचल में लगातार मांग बनी रहती है पिछले 3-4 दिन के भीतर जिस तरह से खनन बेल्ट में गिट्टी के लिए मिलने वाली परमिट (EMM11) की कीमत में तेजी से इजाफा हुआ है उसने क्रशर संचालकों के साथ ही ट्रांसपोर्टरों को चौंका कर रख दिया है वही बिल्डिंग मैटेरियल के दाम में वृद्धि कर देने वाले ऐसे संवेदनशील मसले पर खान अधिकारी की चुप्पी और उनके नाक के नीचे बढ़ रहे दामों पर उनकी नाकामी साफ तौर पर दिखाई दे रही है, परमिट (EMM11) के दामों में आए उछाल ने सोनभद्र के खनन बेल्ट में एक अजीबोगरीब स्थिति पैदा कर दी है बढ़ती कीमतों के चलते 3-4 दिन के भीतर गिट्टी लोडिंग के लिए आने वाली गाड़ियों की संख्या में आई कमी, क्रशर संचालकों में बेचैनी की स्थिति पैदा कर दी है वहीं, जिस तरह से परमिट (EMM11) के दामों में बढ़ोत्तरी हुई है वह लगभग 1600 रूपये तक पहुंच चुकी है। अब ट्रांसपोर्टर और क्रशर संचालन से जुड़े लोग विभिन्न सोशल मीडिया हैंडल के जरिए डीएम से लेकर सीएम तक राहत की गुहार लगाने लगे हैं। अब परमिट (EMM11) के दामों पर किस तरह का एक्शन लिया जाता है, इस पर सभी की निगाहें टिकी हुई हैं। बताते चलें की अगर किसी व्यक्ति को 500 फीट गिट्टी खरीदना है तो इसके लिए उसे क्रशर संयंत्र संचालक को गिट्टी की कीमत महज 12500 रुपये अदा करनी पड़ेगी वहीं इसके लिए उसे18 घन मीटर परमिट के 27000 रुपये अदा करने पड़ेंगे यानी की गिट्टी के दाम के दोगुने से ज्यादा आपको परमिट का मूल्य चुकाना पड़ेगा जिसका सीधा असर आम जनता की जेब पर पड़ रहा है लेकिन जिस तरह से पिछले करीब एक साल से परमिट (EMM11) माफियाओं के नए-नए पैतरे सामने आ रहे हैं उसे फिलहाल कोई बड़ी राहत मिलती नहीं दिख रही जिससे सरकार की महत्त्वाकांक्षी योजनाओं पर पानी फिरता जा रहा है अब देखना होगा कि इसपर जिला अधिकारी अंकुश लगाने में कितना कामयाब होते है