विंध्य ज्योति गाजीपुर। शिव शंकर पाण्डेय
गाज़ीपुर जिले के प्रसिद्ध गंगा घाट स्टीमर घाट,कलेटरघाट, महादेवा घाट,, चोचकपुर गंगा घाट मौनी बाबा धाम, चकेरी धाम घाट पर लोगों ने स्नान और दान करने मकर संक्रान्ति भोर से ही लोग स्नान करने शुरू कर दिया गंगा नदी के घाटों पर भक्तगण ब्रह्ममुहूर्त से ही स्नान -दान करने लगे। गंगा घाट पर लोगों ने स्नान करने के बाद मकर संक्रान्ति के पवित्र पर्व मुख्य रूप से स्नान और दान करने से लेकर को पून्य प्रताप मिलता है जो कि आज यह परम्परा बहुत अच्छी लगती हैं कि लोग मुख्य रूप से तिल, गुड़ लाइ चुरा आदि दान किया जाता है।पतंगबाजी कर लोगों ने सूर्य देव के प्रति आभार जताया। सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने के दिन को मकर संक्रांति पर्व के रुप में मनाया जाता है। मान्यता है कि इसी दिन भगीरथ जी के पीछे- पीछे चलती हुई गंगा नदी कपिल मुनि के आश्रम होते हुए सागर में जाकर मिली थी। इस वजह से इस दिन को शुभ मानकर लोग गंगा स्नान कर दान देते है। इसे नई फसल की शुरुआत भी माना जाता है। पवित्र नदी में स्नान करके सूर्य को अर्घ्य देना चाहिए। अन्न का दान करके तिल, गुड़, रेवड़ी व खिचड़ी का सेवन करना चाहिए। मकर संक्रांति को पोंगल, माघी, उत्तरायणी, खिचड़ी के नाम से संबोधित किया जाता है। आसमान में पतंगबाजी कर लोग सूर्य देवता का आभार भी जताते है। कुछ प्रदेशों में महिलाएं नए वस्त्र धारण कर प्रियजनों संग मिलकर इस त्यौहार को मनाती है। इस मकर संक्रान्ति त्योहार का उद्देश्य यह है कि खिचड़ी जो लोग बेटी,बहु, को घर पर परम्परागत रूप से तिल गुड़ लाइ चुरा वस्त्र आदि उनके घर पर लेकर जाते हैं। सभी लोग अपनी-अपनी तरह से मकर संक्रान्ति त्योहार को मनाया जाता है।