संवाददाता – विजय कुमार अग्रहरि।
* 60- 60 हजार रूपये अर्थदंड, न देने पर 6- 6 माह की अतिरिक्त कैद भुगतनी होगी।
* अर्थदंड की धनराशि में से एक लाख रूपये मुकदमा वादिनी को मिलेगी।
– जेल में बितायी अवधि सजा में समाहित की जाएगी।
सोनभद्र। सवा दस वर्ष पूर्व 15 वर्षीय नाबालिग बालक के अपहरण मामले में शुक्रवार को सुनवाई करते हुए सत्र न्यायाधीश अशोक कुमार यादव की अदालत ने दोषसिद्ध पाकर दोषियों संतोष कुमार गौड़ व राजेंद्र गौड़ को 6- 6 वर्ष की कैद व 60- 60 हजार रूपये अर्थदंड की सजा सुनाई। अर्थदंड न देने पर 6- 6 माह की अतिरिक्त कैद भुगतनी होगी। वहीं जेल में बिताई अवधि सजा में समाहित होगी। अर्थदंड की धनराशि में से एक लाख रूपये मुकदमा वादिनी को मिलेगी। अभियोजन पक्ष के मुताबिक दुद्धी कोतवाली क्षेत्र के गुलाल झरिया गांव निवासी देवंती देवी ने न्यायालय में धारा 156(3) सीआरपीसी के प्रार्थना पत्र में अवगत कराया था कि 8 सितंबर 2013 को सुबह 10 बजे की घटना है। उसके 15 वर्षीय नाबालिग बेटे बृजकिशोर को गुलाल झरिया गांव निवासी संतोष कुमार गौड़ व मझौली गांव निवासी राजेंद्र गौड़ के साथ ही दो लोग और मिलकर बहला फुसलाकर अपने साथ ले गए। जब बेटे के बारे में पूछताछ करने देवंती गई तो घर के लोगों ने कहा कि सभी लोग बेटे को साथ लेकर दिल्ली गए हैं। दो चार दिन में सभी लोग आ जाएंगे। जब चार दिन बाद पूछने गई तो कोई पता नहीं चला। बार बार पता करती रही लेकिन कोई पता नहीं चला। उसके बाद दुद्धी कोतवाली और डीएम तथा एसपी सोनभद्र को 23 सितंबर 2013 को सूचना दिया। फिर भी कोई कार्रवाई नहीं की गई। जबकि बेटे का पता नहीं चल रहा है। जिससे अपहरण कर बेटे की हत्या किए जाने की आशंका जाहिर की थी। कोर्ट के आदेश पर दुद्धी कोतवाली पुलिस ने एफ आई आर दर्ज कर मामले की विवेचना किया। पर्याप्त सबूत मिलने पर विवेचक ने न्यायालय में संतोष कुमार गौड़ व राजेंद्र गौड़ के विरुद्ध चार्जशीट दाखिल किया था। मामले की सुनवाई के दौरान अदालत ने दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं के तर्कों को सुनने, गवाहों के बयान व पत्रावली का अवलोकन करने के बाद दोषसिद्ध पाकर दोषियों संतोष कुमार गौड़ व राजेंद्र गौड़ को 6- 6 वर्ष की कैद एवं 60- 60 हजार रूपये अर्थदंड की सजा सुनाई। अर्थदंड न देने पर 6- 6 माह की अतिरिक्त कैद भुगतनी होगी। जेल में बिताई अवधि सजा में समाहित की जाएगी। वहीं अर्थदंड की धनराशि में से एक लाख रूपये मुकदमा वादिनी को मिलेगी। अभियोजन पक्ष की ओर से जिला शासकीय अधिवक्ता ज्ञानेंद्र शरण रॉय ने बहस की।