संवाददाता – मस्तराम मिश्रा।
रेनुकूट सोनभद्र। सन 2002 की बात है मैं बी एच् यू एन सी सी 89 बटालियन का सीनियर अंडर ऑफीसर था परेड ग्राउंड पर परेड चल रही थी पास ही बी एच यू हॉस्पिटल था एक औरत ग्राउंड के पास आकर बहुत रो रही थी हमारी नजर अचानक उस महिला पर पड़ी काफी देर देखता रहा फिर जाकर पूछा क्यू रो रही है महिला गांव की लग रही थी पूछते ही मेरा पैर पकड़कर और तेज रोने लगी और बार बार यही कह रही थी हमारे एकलौते बेटे को बचा लीजिए फिर मैंने पूछा बात तो बताइए क्या हुआ है फिर महिला ने बताया कि मेरा बेटा खून के चलते मर जायेगा मैं बहुत परेशान हूँ और काफी लोगो से मदद मांगी कोई नही तैयार हुआ मैं भी डर रहा था क्योंकि पहले कभी ब्लड डोनेट नही किया था लेकिन उस माँ की रुलाई के आगे मेरा डर काफी नही था और महिला के साथ जाकर पहली बार रक्तदान किया उसके बाद मैं जब भी मौका मिलता था रक्तदान करता था फिर हमारी नौकरी आदित्य बिड़ला ग्रुप हिंडाल्को में 2005 में लग गई यहां भी जब मौका मिला रक्तदान करता था और अभी तक मैने 53 बार ब्लड व 1 बार प्लेटलेट्स दान कर चुका हूँ और चाहत है कि जीवन बचाने का शतक पूरा करू एक दिन अचानक मेरे विचार में आया कि हमारे अकेले रक्तदान करने से समाज मे रक्त की कमी के चलते हो रही मौतों पर अंकुश नही लगाया जा सकता फिर मैंने अपने मोबाइल में अपने साथियों का कांटेक्ट नेम के साथ ब्लड ग्रुप लिखने लगा और 14 जून 2015 को प्रयास एक मुहिम जिंदगी बचाने की ,नाम का एक ह्वाट्सप ग्रुप बनाया और इस उद्देश्य के साथ कि रक्त की वजह से किसी की मौत न हो व बिना रक्तदान किये भी कोई न मरे और आज हिंदुस्तान का कोई ऐसा जगह नही है जहां प्रयास द्वारा रक्त न उपलब्ध हो सके , संस्था द्वारा अभी तक दस हज़ार से ज्यादा जरूरतमन्दों को रक्त सम्बंधित मदद किया जा चुका है भारत के विभिन्न शहरों में और सोनभद्र के लगभग पन्द्रह हज़ार रक्तदाता मुहिम से जुड़कर जरूरतमन्दों की 24 घण्टे मदद को तैयार रहते है यहां तक कि हमारे डोनर साथी रेनुकूट से बनारस, रॉबर्ट्सगंज, जयंत, दूर दूर तक जाकर जान बचाने में मदद करते है हमारी संस्था 2018 में यूपी गवर्नमेंट सोसाइटी एक्ट द्वारा रजिस्टर्ड भी हो चुकी है और अब नेत्रदान तथा अंगदान के लिए भी लोगों को प्रेरित कर रही है हमारे कुछ साथी है जो हमारे मुहिम के साथ हमेशा खड़े रहते है गौतम अग्रवाल, अमित चौबे,दीपेश जैसवाल, मणिभूषण सिंह, राजेश पासवान, शुभम केशरी ,इस्तिखार,अम्बिका गुप्ता है अंत मे यही कहूंगा कि जब किसी गैर के खून से बचती है किसी अपनों की जान , तब समझ आता है क्या होता है रक्तदान 27 फरवरी को हरियाणा के मुख्य मंत्री द्वारा राष्ट्रीय रक्त नायक अवार्ड प्राप्त हुआ 21 सितम्बर को अयोध्या में अशोक ध्यानचंद के हाथों राष्ट्रीय सेवा रत्न अवार्ड मिला तथा वर्ल्ड बुक ऑफ रिकार्ड्स लंदन द्वारा भी प्रशस्ति पत्र दिलीप दुबे को प्राप्त हो चुका है