विंध्य ज्योति गाजीपुर। शिव शंकर पाण्डेय
गाजीपुर जिले में कई युवा कृषि विज्ञान केंद्र से जुड़कर अपने जीवन में समृद्धि का उजाला ला रहे हैं। कृषि विज्ञान केन्द्र पी जी कॉलेज, गाजीपुर द्वारा “मधुमक्खी पालन” विषय पर प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस अवसर पर मधुमक्खियों की महत्ता तथा मधुमक्खी पालन के बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी केंद्र के फसल सुरक्षा वैज्ञानिक डॉ ओमकार सिंह ने मधुमक्खियां हमारे जीवन के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं। हम जो कुछ भी फल, सब्जियां या अनाज खाते हैं उन्हें उगाने के लिए केवल धूप, मिट्टी और पानी ही जरूरी नहीं हैं बल्कि कीट पतंगों का भी विशेष योगदान है। मानवीय गतिविधियों के कारण परागण वाले कीट पतंगों का जीवन खतरे में है।विश्व की 70 प्रतिशत कृषि कीट-पतंगों पर निर्भर है। ऐसे में हम कह सकते हैं कि 100 में से 70 खाद्य पदार्थ में मधुमक्खियों का हस्ताक्षेप रहता है। मधुमक्खी पालन एक लघु व्यवसाय है, जिससे शहद एवं मोम प्राप्त होता है। भारत में शहद एवं मधुमक्खी पालन का पुराना इतिहास रहा है। मधुमक्खी पालन के बारे में ट्रेनिंग देते विशेषज्ञ।इन देशों में गोंद का ऐसे हो रहा प्रयाेगअर्जेन्टीना, दक्षिण कोरिया, यूक्रेन, अमेरिका, ब्राजील, चीन जैसे दुनिया के कई देशों में प्रोपोलिस (मोमी गोंद) का दवाओं के लिए भारी इस्तेमाल किया जा रहा है और विदेशों में इसका उपयोग सौंदर्य प्रसाधन के साथ तमाम दवाओं में हो रहा है। गौर करने वाली बात यह है कि शहद उत्पादन के मामले में भारत पांचवें स्थान पर है। ऐसे में मधुमक्खी पालन एक पर्यावरण कल्याणकारी, उद्योग केसामने आया है। मधुमक्खियों की 20,000 से अधिक प्रजातियां हैं।