ग्रामवासी सेवा आश्रम सभागार में आयोजित होगा जयंती समारोह।
संग्रहणीय पुस्तक अग्नि पुष्प और ग्रामवासी विशेषांक का होगा लोकार्पण।
इंटर में सर्वोच्च अंक प्राप्त करने वाली दो छात्राओं को सिलाई मशीन देकर संस्थान करेगा पुरस्कृत।
संवाददाता – विजय कुमार अग्रहरि।
सोनभद्र। महान स्वत्रंता संग्राम सेनानी, देश भक्त महात्मा ग़ांधी के परम अनुयायी, निर्भीक एवं सशक्त पत्रकार और 1952 में अविभाजित जनपद मिर्जापुर के दुद्धी विधानसभा के प्रथम विधायक पंडित ब्रजभूषण मिश्र “ग्रामवासी जी” की 124वीं जयंती चोपन स्थित सोन नदी के तट पर ग्रामवासी सेवा आश्रम में धूमधाम से मनाई जाएगी। उक्त जयंती समारोह पंडित ब्रजभूषण मिश्र ग्रामवासी-कृपाली स्मृति संस्थान लखनऊ के तत्वाधान में दिन के 12 से उद्घाटित किया जाएगा। बतौर मुख्य अतिथि पंडित ब्रजभूषण मिश्र “ग्रामवासी जी” की सुपुत्री एवं संस्थान की महासचिव शुभाषा मिश्रा जी उपस्थित रहेंगी। इस अवसर पर ग्रामवासी जी द्वारा ब्रिटिश हुकूमत के विरुद्ध देश मे जनजागरण पैदा करने के लिए सन मार्च 1923 में शुरू किए गए “ग्रामवासी साप्ताहिक समाचार पत्र” के 100 वर्ष पूर्ण होने पर शताब्दी वर्ष भी बहुत ही उल्लास पूर्वक मनाया जाएगा। साथ ही “ग्रामवासी साप्ताहिक” के 1923 से 1936 के मध्य प्रकाशित अंकों के संपादकीय के संकलन को एक संग्रहणीय पुस्तक “अग्नि पुष्प” एवं ग्रामवासी विशेषांक के रूप में प्रकाशित पत्रिका का विमोचन भी मुख्य अतिथि एवं मंचासीन अतिथियों द्वारा किया जाएगा।
ग्रामवासी पत्रिका के शताब्दी वर्ष के पर विंध्याचल मंडल के दो प्रख्यात सम्मानित पत्रकारों पंडित मिथिलेश प्रसाद द्विवेदी (सोनभद्र) एवं डॉक्टर कृष्णावतार त्रिपाठी राही (भदोही) को हिंदी साहित्य व पत्रकारिता के क्षेत्र में देश व समाज के प्रति पूरी ईमानदारी, निष्ठा व समर्पण से उल्लेखनीय योगदान के लिए ग्रामवासी सम्मान से सम्मानित भी किया जाएगा। इसके अलावा राजकीय विद्यालय से इस वर्ष 12 वी की परीक्षा में उच्चतम अंक प्राप्त करने वाली चयनित दो बालिकाओं को सिलाई मशीन भेंट कर उन्हें शिक्षा के क्षेत्र में शिक्षा के क्षेत्र में अग्रणी रहने के लिए प्रोत्साहित एवं प्रेरित किया जाएगा। विदित हो कि पंडित ब्रजभूषण मिश्र “ग्रामवासी जी “भारत की आजादी में अपना सर्वस्व न्यौछावर करने वाले महान स्वत्रंता संग्राम सेनानी के रूप में जाने जाते हैं। ग्रामवासी जी का जन्म 27 अगस्त 1899 में गोपीगंज में हुआ था। इनके पिता पंडित महेश दत्त मिश्र हिन्दी व फ़ारसी के विद्वान के साथ साथ बहुत बड़े संगीतज्ञ थे। जब ये मात्र तीन माह के थे तभी इनकी माता का स्वर्गवास हो गया। इनका पालन पोषण इनकी दादी रुक्मणि देवी ने किया जो एक धर्मपरायण,संस्कृतज्ञ और ज्योतिष शास्त्र की बहुत बड़ी ज्ञाता थी। ग्रामवासी जी जब इंटर द्वितीय वर्ष में थे तभी देश भक्ति से प्रेरित होकर महात्मा गांधी के असहयोग आंदोलन में कूद पड़े। और ये संकल्प लिया कि जब तक अपने देश को अंग्रेजी दासता से मुक्त नही करवा लूँगा तब तक इस हेतु लड़ता रहूँगा। और 1921 में जलियांवाला बाग कांड के बाद काशी हिंदू विश्वविद्यालय से पढ़ाई छोड़ के स्वदेसी संघ की स्थापना कर पूर्ण रूप से देश को अंग्रेजी हुकूमत से मुक्ति दिलाने हेतु अपने को स्वतंत्रता आंदोलन मे समर्पित कर दिया। इस दौरान वे अनेकों बार जेल गए और उनका संपर्क स्वतंत्रता आंदोलन के बड़े बड़े नेताओं और क्रांतिकारियों से हुआ जिसमे महात्मा गांधी, एनी बेसेंट,पंडित मदन मोहन मालवीय, रविन्द्र नाथ टैगोर, बाल गंगा धर तिलक,लाला लाजपतराय, मोती लाल नेहरू, राजगोपालाचारी, चंद्रशेखर आजाद, राजेन्द्र लाहिड़ी,आचार्य विनोबा भावे, सुभाष चन्द्र बोस, शिव प्रसाद गुप्त प्रमुख रहे। गौरतलब हो की आजादी के बाद आजाद भारत के प्रथम चुनाव में ग्रामवासी दादा दुद्धी विधानसभा क्षेत्र से सन 1952 में प्रथम विधायक चुने गए और अपने विधान सभा क्षेत्र के शोषित, पीड़ित मजलुमो की सेवा बड़े ही मनोयोग से करते हुए इस जनपद के गांधी के रूप में विख्यात हुए। 96 वे वर्ष की आयु तक इनके द्वारा समाज के लोगों को अच्छे जीवन को जीने हेतु पांच प्रमुख सूत्र दिए गए जिसमे गोवध बंदी,मदिरा बंदी,अश्लील प्रदर्शन बंदी,लाटरी जुआ बंदी और हिंदी भाषा को अपनाने पर जोर दिया गया। ग्रामवासी जी एक बड़े राष्ट्रभक्त, स्वतंत्रता सेनानी,जाने माने पत्रकार और सच्चे समाज सेवी के रूप में सदैव लोगो के दिलो कायम रहेंगे। और देश व समाज के लिए उनका जीवन सदैव सभी के लिए अनुकरणीय व प्रेरणास्रोत के रूप में बना रहेगा। आश्रम से जुड़े आयोजन समिति के सम्मानित सदस्य संजीव गौंड़ राजेश अग्रहरि, सनोज तिवारी और ओमप्रकाश ने जनपद के गणमान्य बुद्धिजीवियों, समाजसेवियों एवं ग्रामवासी दादा के प्रबल अनुयायियों से अपेक्षा की है कि उनकी 124 वी जयंती पर संस्थान द्वारा आयोजित समारोह में अधिक से अधिक संख्या में पहुंचकर उनकी मूर्ति पर पुष्पांजलि अर्पित कर उन्हें शत-शत नमन करते हुए कार्यक्रम को सफल बनाने में अपनी भूमिका का निर्वहन करेंगे।