संवाददाता – विकास कुमार हलचल।
राकेश त्रिपाठी उपाख्य शिशु त्रिपाठी को मिला गोस्वामी तुलसीदास सम्मान।
सोनभद्र। अयोध्या शोध संस्थान, संस्कृति विभाग उत्तरप्रदेश द्वारा प्रदेश के दस स्थानों पर बुधवार को मनायी गयी ‘तुलसी-जयन्ती’ की शृंखला में जनपद के घोरावल तहसील क्षेत्र अंतर्गत देवगढ़ स्थित श्रीरामकथा शोध केन्द्र, श्रीरघुनाथ-मन्दिर देवगढ़ के तत्वावधान में वेणीविलास अतिथिगृह सभागार में ‘तुलसी के राम’ विषयक शोध-संगोष्ठी सोल्लास पूर्वक मनाई गई । श्रीवृद्धेश्वरनाथपीठाधीश्वर महन्त डॉ. योगानन्द गिरि जी महाराज की सभापतित्व, पद्मश्री अजिता श्रीवास्तव के मुख्यातिथ्य एवं मिर्जापुर के नवगीतकार गणेश गम्भीर और सोनभद्र के वरिष्ठ पत्रकार विजयशंकर चतुर्वेदी के विशिष्टातिथ्य में आयोजित समारोह का शुभारम्भ श्रीरघुनाथजी सरकार के पूजन एवं गोस्वामी तुलसीदासजी के चित्र पर माल्यार्पण और दीप- प्रज्ज्वलन के साथ हुआ। कार्यक्रम के प्रथम चरण में भजनानन्दी बृजेश शुक्ल एवं रजनीश झा के निर्देशन में श्रीरामचरितमानस के पंचम सोपान सुन्दरकाण्ड का संगीतमय पाठ हुआ। इसी क्रम में लोकगायिका एवं कवयित्री पद्मश्री अजिता श्रीवास्तव ने तुलसीकृत ‘ठुमुक चलत रामचन्द्र बाजत पैजनियाँ’ की मनोहारिणी प्रस्तुति से श्रोताओं को मन्त्रमुग्ध कर दिया। रॉबर्ट्सगंज के राजा तेजबली सिंह क्लब में विगत 21 वर्ष से श्रीरामचरितमानस महायज्ञ का संयोजन करनेवाले मानस- प्रचारक राकेश त्रिपाठी उपाख्य शिशु त्रिपाठी को गोस्वामी तुलसीदास सम्मान से विभूषित किया गया। राकेश त्रिपाठी ने अपने उद्बोधन में कहा कि गोस्वामी तुलसीदास कलिपावनावतार हैं। जब विदेशी आक्राताओं और विधर्मी मुग़लों के कदाचार से भारतीय प्रजा निराशा के घनान्धकार में डूबी हुई थी, तब गोस्वामी तुलसीदास ने सनातन धर्म को जीवनीशक्ति प्रदान की। मुख्य वक्ता साहित्यभूषण डॉ. अनुजप्रताप सिंह ने गोस्वामी तुलसीदास के जीवन और साहित्य के अनेक पहलुओं पर प्रकाश डाला। डॉ. सिंह ने तुलसी कृत श्रीरामचरितमानस के अन्यान्य संस्करणों एवं विविध स्थान पर संरक्षित खण्डित-अखण्डित पाण्डुलिपियों की तुलनात्मक व्याख्या की। आचार्य गणेशदेव पाण्डेय ने तुलसी के राम की मनोहारी व्याख्या की। जहाँ विशिष्ट अतिथि गणेश गम्भीर ने तुलसी के जीवन और साहित्य पर अधिकाधिक शोध करने पर बल प्रदान किया, वहीं विजयशंकर चतुर्वेदी ने सोनभद्र में प्रभु श्रीराम के सन्दर्भ की चर्चा करते हुए ‘बाल्मीकि तुलसी भये तुलसी रामग़ुलाम’ की सन्दर्भसहित व्याख्या की। कार्यक्रम के द्वितीय चरण में आयोजित कविगोष्ठी में गीतकार शुभम् श्रीवास्तव ‘ओम’ ने सवैया छन्दों की सस्वर प्रस्तुत से जहाँ श्रोताओं को भावविह्वल किया, वहीं गीत और जीवन के शाश्वत सम्बन्धों को रेखांकित किया- जीवन में गीतों का होना चाहे मुश्किल हो, गीतों में जीवन का होना बहुत ज़रूरी है। नवगीतकार गणेश गम्भीर ने तुलसी के राम के साथ सबके राम को अपनी कविता का विषय बनाया- सबके अपने राम क्या दक्षिण क्या वाम। वैदिक भी हैं, लौकिक भी हैं, मर्यादाओं-आदर्शों के अनुभव-अर्जित निष्कर्षों के श्रेष्ठ सनातन यौगिक भी हैं जन जन के हैं राम सौम्य सरल अभिराम। डॉ. जितेन्द्रकुमार सिंह ‘संजय’ ने तुलसीप्रिया रत्ना के चरित को रेखांकित करते हुए सवैये की कर्णप्रिय प्रस्तुति से श्रोताओं को आनन्द-गद्गगद कर दिया- अविकारी अन्हारी निशा पसरी पथ सूझत नाहीं न राह दिखे रे। घटवार न घाट, घटी न घटा, न घटी जमुना जल-राशि बिखेरे। मृत-देह सनेह बनी तरणी अहि-रज्जु गवाक्ष प्रिया लखि टेरे। अनुराग-तड़ाग उगी रतना छवि श्रीतुलसी-उर छन्द लिखे रे।। सोनभद्र से आये कविराज पण्डित रमाशंकर पाण्डेय ‘विकल’ ने विश्वकवि गोस्वामी तुलसीदास की उपलब्धियों को रेखांकित करते हुए अपने सरस छन्दों की प्रस्तुति से वातावरण को तुलसीमय कर दिया- कवि-कंज अनेक जहाँ अब भी इस हिन्दी-सरोवर मध्य भले हैं। कितने दल मस्त पराग जने कितने मधुपक्ष सँभाल पले हैं। पर, रूप समन्वय का मधु औ’ मकरन्द लिये तुलसी निकले हैं। भव-सागर लंघन हेतुक राम चरित्र सुनिश्चय धार चले हैं। समारोह की अध्यक्षता कर रहे महन्त डॉ. योगानन्द गिरि जी महाराज ने ‘तुलसी के राम’ विषय पर वैदुष्यपूर्ण व्याख्यान दिया। उन्होंने कहा कि वाल्मीकि के राम मानव हैं, जबकि ‘तुलसी के राम’ असीम-अनादि अनन्त होने के साथ साथ के समन्वय की विराट् चेष्टा करते हैं। कार्यक्रम का संचालन डॉ. जितेन्द्रमार सिंह ‘संजय’ ने किया। इस अवसर पर राजर्षि बाबू रामप्रसाद सिंह, बाबू महेन्द्रबहादुर सिंह, पत्रकार सनोज तिवारी, सन्दर्भ पाण्डेय, जयकुमार, वीरेन्द्रप्रताप सिंह, धर्मेन्द्रकुमार सिंह, ज्ञानेन्द्रकुमार सिंह, नरेन्द्रबहादुर सिंह, शिवेन्द्रकुमार सिंह, कपिल द्विवेदी, आदित्यनारायण सिंह, मिश्रीलाल, छोटेलाल शर्मा सहित बड़ी संख्या में मिर्ज़ापुर-सोनभद्र के बौद्धिक कविता प्रेमी उपस्थिति रहें। अन्त में संयोजक डॉ. जितेन्द्रकुमार सिंह ‘संजय’ ने सबके प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया।
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