ऑपरेशन कायाकल्प काे गंभीरता से नहीं ले रहा स्कूल प्रबंधन, मूलभूत सुविधाओं का भी अभाव
विंध्य ज्योति, विकास कुमार हलचल।
सोनभद्र।प्रदेश सरकार सरकारी स्कूलों की दिशा और दशा बदलने के लिए तमाम कवायद कर रही है। नित नई घोषणाएं की जा रही हैं, लेकिन धरातल पर इसका असर ना के बराबर है। आपको बता दें ये ताजा मामला चतरा ब्लाक अंतर्गत लीलारी में स्थित उच्च प्राथमिक कम्पोजीट विद्यालय आज भी मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहा हैं।कायाकल्प से भी नहीं सुधरी विद्यालय की काया।बेसिक शिक्षा विभाग और पंचायती राज विभाग के समन्वय से 14वें वित्त द्वारा स्कूलों का कायाकल्प करना था। पर अफसोस शासन के आदेश के बाद भी उच्च प्राथमिक कम्पोजिट विद्यालय की तस्वीर नहीं बदल पाई है। कहीं बाउंड्री तो कहीं शौचालय गायब हैं। रसोई घर, स्टोर रूम व भवन भी ठीक नहीं हो पाए। अर्जुन संदेश ने जब इसकी पड़ताल की तो आश्चर्यजनक तथ्य सामने आए। टूटे हुए फर्श, धरातल से गायब बाउंड्री, सालों से बन्द पड़े शौचालय की दीनहीन दशा व जर्जरभवन चीख-चीख कर सरकारी योजना की हकीकत बयां कर रहे थे। यह तो एक बानगी भर है। क्षेत्र के अधिकतर स्कूलों का यही हाल है। फिर भी कागजों में ऑल इज वेल दिखाकर वाहवाही लूटी जा रही है।जब इसकी कुछ और जानकारी प्राप्त करने के लिए वहां के स्थानीय लोगों से बात की गई तो पता चला कि विद्यालय पहले से ही जर्जर स्थिति में था। जिसको अधिकारियों द्वारा जांच पड़ताल के बाद विद्यालय का ध्वस्तीकरण कर के विघालय के नए भवन निर्माण का आदेश दिया था। लेकिन ग्राम प्रधान वीडियो एवं जेइ की मिलीभगत से इस जर्जर विद्यालय को ध्वस्तीकरण न करके उसी भवन का फिर से मरम्मत कर दिया गया। अब विद्यालय की दीवाल की हालत ऐसी है कि दीवाल के चारों तरफ दरारें आ गई हैं जिससे बरसात के मौसम में दीवाल कभी भी गिर सकता है जिससे बड़े दुर्घटना का शिकार हो सकते हैं नन्हे मुन्ने बच्चे। कायाकल्प के नाम पर भ्रष्टाचार बड़े पैमाने पर हो रहा है।ऐसे में जान हथेली पर रखकर बच्चे पढ़ाई करने को विवश हैं। यह आलम तब है जब मिशन कायाकल्प के तहत स्कूलों को हाईटेक और मॉडर्न बनाने का दावा किया जा रहा है।बेसिक शिक्षा विभाग एक ओर स्कूलों के मिशन कायाकल्प में सुधार का दावा कर रहा है तो वहीं जमीनी हकीकत कुछ और है।