संवाददाता – अनुज कुमार जायसवाल।
इंग्लिश मीडियम स्कूल के नाम पर वसूली जा रही मोटी रकम।
सोनभद्र। बच्चों के भविष्य सवारने की सबसे पहली सीढ़ी होती है स्कूली शिक्षा लेकिन जिस स्कूल में बच्चे शिक्षा दीक्षा लेते है अगर वही स्कूल भ्रष्टाचार में खुद लिप्त हो तो वो स्कूल बच्चे को सही शिक्षा दीक्षा दे सकता है क्या। ऐसा सोनभद्र जिले में एक मामला सामने आया है जहाँ बिना मान्यता के बच्चों को पढ़ाया जा रहा है। यूपी सरकार के सख्त आदेश के बाद आदेश की अवहेलना कर स्कूल का संचालन बिना रोक टोक के चल रहा है।
बीएसए के कार्य क्षेत्र शिक्षा क्षेत्र रॉबर्ट्सगंज के अंतर्गत आने वाले पटवध में बिना मान्यता के निजी स्कूल चल रहे है। जिला प्रशासन के सख्त आदेशों के बावजूद भी निजी स्कूल बिना मान्यता के बे रोकटोक संचालित हो रहे है। बिना मान्यता के चल रहे निजी स्कूल संचालकों द्वारा विद्यार्थियों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। स्कूल संचालकों ने आठवीं की मान्यता होने के बाद भी 10 व 12 वीं तक की कक्षाएं संचालित कर रखी है तो स्कूल की क्लास छप्परों में चल रहे है। फर्जीबाडा करके संचालित स्कूलों की जानकारी होने के बावजूद शिक्षा विभाग का रवैया हैरान करने वाला है। विभाग के अधिकारियों की जानकारी में मामला होने के बाद भी क्षेत्र में संचालित फर्जी तरीके से संचालित शिक्षण संस्थाओं की ना सूची बनाई है और ना ही ऐसे स्कूलों के खिलाफ पिछले कई अर्से से कोई कार्यवाही की है। वही स्कूल के प्रिंसिपल से इस बारे में पूछा गया तो गोल मोल जवाब देते नजर आए। पटवध मारकुंडी उपखंड क्षेत्र में गरीब ग्रामीण इलाके में इंग्लिश मीडियम खोलने का सीधा सा मतलब है ज्ञान के मंदिर का व्यवसायीकरण कर पैसा ही पैसा कमाना। बिना मान्यता के संचालित कर राइट टू एजूकेशन के नाम पर गंभीर अनियमितता बरती जा रही है। मान्यता से अधिक कक्षाएं चलाई जा रही है। कई स्कूलों के पास भवन न होने से विद्यार्थियों को छप्परों व करकट सीट भवनों में बिठाकर पढ़ाया जा रहा है। जिसमें कभी भी हादसा होने की आशंका बनी हुई है। अधिकांश बच्चों को अपने स्कूल का पूरा नाम तक नहीं पता। कोई ड्रेस कोड नहीं बच्चे जैसे-तैसे स्कूल में आ जाते है। गर्मी से परेशान बच्चों ने भी स्कूल में तमाम सुविधाओं न होने को लेकर अपनी बात रखी शिक्षा माफियाओं में नए सत्र में भी कई स्थानों पर फर्जी शिक्षण संस्थाएं खोलकर छात्रों के भविष्य के साथ फिर से खिलवाड़ करने की तैयारी शुरू कर दी है। जबकि जिला प्रशासन ने पिछले सत्र में जिले के सभी निजी स्कूल संचालकों की मीटिंग के दौरान साफ संदेश दिया था कि बिना मान्यता के स्कूल संचालित नहीं करने, मान्यता से अधिक कक्षाएं नहीं चलाने तथा राइट टू एजूकेशन की पालना के निर्देश जारी किए थे। जिसमे बैठने से लेकर बिजली तक कि सुविधाएं होने की बात कही गई थी। राइटटू एजूकेशन 2009 में प्रावधान है कि अगर कोई निजी स्कूल बिना मान्यता के चलता पाया जाता है तो संचालक के विरुद्ध एफआईआर दर्ज कराने एवं जुर्माना वसूले जाने की कार्यवाही की जा सकती है। लेकिन जिले में शिक्षा विभाग के अधिकारियों को अभी तक इस तरह की कार्रवाई के लिए फुर्सत नहीं मिल पाई है। जिससे तय हो सके कि कितने स्कूल फर्जी तरीके से और कहां कहां संचालित हो रहे है। सत्र बदलते ही निर्देशों की पालना के बजाय धज्जियां उड़ती दिखाई दे रही है शिक्षा नीति। जिला शिक्षा प्रशासन ने सिर्फ दिखावे के लिए संदेश जारी किया था क्या ये बड़ा सवाल सभी के जेहन में है। या तो फिर पैसों के आगे नतमस्तक है जिला शिक्षा विभाग।