# शिक्षा के क्षेत्र में अनुकरणीय योगदान दे रहा है यह विद्यालय।
# अध्यक्ष सरदार सुलक्खन सिंह एवं प्रबंधक सतनाम सिंह की अगुवाई में प्रगति पथ पर अग्रसर है विद्यालय।
प्रगति के सोपान. ✒अजय भाटिया
की कलम से..
सोनभद्र। वर्तमान समय में चोपन में पंजाबी सिख समाज के परिवारों की संख्या भले सीमित है लेकिन यहाँ शिक्षा के क्षेत्र में सिख समाज का अनुकरणीय योगदान है।अगर नेकनीयती, ईमानदारी, सेवा भाव के साथ कुछ कर गुजरने का जज्बा हो तो कोई काम असंभव नहीं है और इसे चरितार्थ कर दिखाया है चोपन में पंजाबी सिख समाज ने। तत्कालीन पंजाबी सिख समाज के लोगों द्वारा यहाँ करीब 6 दशक पूर्व स्थापित गुरुद्वारा बाल विद्यालय अब एक विशाल वटवृक्ष का रुप ले चुका है जो अब गुरुद्वारा बाल विद्यालय के साथ ही अंग्रेजी माध्यम के गुरुद्वारा पब्लिक स्कूल एवं गुरुद्वारा इंटर कालेज के रूप में आज नगर एवं आसपास के आदिवासी गिरिवासी ग्रामीण अंचलों के हजारों बच्चों को अंग्रेजी एवं हिंदी माध्यम से प्रारम्भिक शिक्षा से इंटर तक की शिक्षा उपलब्ध करा रहा है।
मिली जानकारी के अनुसार 1960-70 के दशक में जब औद्योगिक कल कारखानों के निर्माण की प्रक्रिया चल रही थी उसी दौरान काम धंधे के सिलसिले में विभिन्न समुदायों के साथ ही पंजाबी सिख समाज के लोगों का भी इस क्षेत्र में आगमन हुआ। इसी क्रम में चोपन में भी अनेक पंजाबी सिख परिवार स्थापित हुए जिन्होंने यहाँ अपने धार्मिक स्थल गुरुद्वारा साहिब की स्थापना के साथ ही शिक्षा के क्षेत्र में गुरुद्वारा बाल विद्यालय के नाम से एक प्राथमिक विद्यालय की भी स्थापना की। शुरुआती दौर में सरदार जय सिह, जसवंत सिंह गिल, दलीप सिंह, जसवंत सिंह सैनी, हरनेक सिंह, मख्खन सिंह, अजीत सिंह, नरेंद्र सिंह चढ्ढा,जसवंत सिंह राना, गुरु चरन सिंह ज्ञानी जी, सोहन सिंह, संतोंष सिंह, चतर सिंह, प्यारा सिंह, मान सिंह, हजारा सिंह, सेठी साहब, गिरेवाल साहब,बसंत सिंह, निर्मल सिंह, शिव चरन प्लाहा,गुरदीप सिंह, परविंदर सिंह कंग, नाजर सिंह, सहित ओबरा, राबर्टसगंज सहित विभिन्न अंचलों के पंजाबी सिख परिवारों ने समाज के अन्य लोगों के साथ मिलकर गुरुद्वारा एवं विद्यालय निर्माण में अपना अपना अमूल्य योगदान दिया।( संभव है कुछ लोगों के नाम कई दशकों के बाद स्मृति में न आने के कारण छूट गए हों)।
पंजाबी सिख समाज के तात्कालीन लोगों ने चोपन सिख शिक्षा समिति का गठन कर दूर दृष्टि से शिक्षा के सेवा क्षेत्र में गुरुद्वारा बाल विद्यालय के रूप में जो बीजारोपण किया, आज अपनी, 5-6 दशक के तमाम उतार चढ़ाव की यात्रा के साथ उत्तरोत्तर प्रगति के सौपान पर बढ़ते हुए गुरुद्वारा बाल विद्यालय के साथ ही, अब गुरुद्वारा पब्लिक स्कूल ( अंग्रेजी माध्यम), गुरुद्वारा इंटर मीडिएट कालेज के रूप में अपनी विशिष्ट पहचान बना चुका है। जिसमें आज दो हजार से अधिक बच्चे शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं।
शुरुआती दौर में प्रबंधक के रूप में जहाँ स्मृति शेष सरदार जसवंत सिंह गिल ने लम्बे अंतराल तक अपनी नि:स्वार्थ सेवाओं से विद्यालय का बुनियादी स्वरूप तैयार किया तो बाद के वर्षों में स्मृति शेष सरदार दलीप सिंह,परविंदर सिंह कंग , अमरजीत सिंह पम्मी, सिरमौर सिंह ओबरा ने विद्यालय को अपनी महत्वपूर्ण सेवाएं दी। प्रधानाचार्य के रूप में गुरु जी के नाम से लोकप्रिय शिक्षक स्मृति शेष हरिनारायण देव पांडेय आचार्य जी का अनुकरणीय योगदान रहा है।वर्तमान में अध्यक्ष सरदार सुलक्खन सिंह ओबरा एवं प्रबंधक के रूप में नगर के समाजसेवियों में शुमार सतनाम सिंह अपने सहयोगियों के साथ विद्यालय के उत्तरोत्तर विकास की दिशा में अपनी महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां निभा रहे हैं। विद्यालय के विकास के सफर में ओबरा के सरदार मख्खन सिंह, सुलक्खन सिंह, सिरमौर सिंह जी जहां लम्बे अंतराल से अपना अमूल्य योगदान दे रहे हैं वहीं वर्तमान में प्रबंध समिति में परविंदर सिंह, कंवलजीत सिंह, जितेंद्र प्लाहा आदि युवा साथी भी अपनी महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां निभा रहे हैं।विद्यालय के विकास में केन्द्रीय मंत्री माननीय सरदार हरदीप सिंह पुरी जी का महत्वपूर्ण योगदान निरंतर मिल रहा है।अनुशासन और शिक्षा के क्षेत्र में इंटर कालेज के प्रधानाचार्य श्री धीरेन्द्र सिंह, पब्लिक स्कूल की प्रधानाचार्या श्रीमती रचना सूद और बाल विद्यालय की प्रधानाचार्या श्रीमती रुबी कौर जी के नेतृत्व में विद्यालय परिवार पूरे मनोयोग से लगा है।आने वाले समय में यह विद्यालय शिक्षा के क्षेत्र में नित नये आयाम स्थापित करेगा।