— खननकर्ता वन विभाग का बताया जा रहा बेहद करीबी।
— रेंजर ने कहा कि नर्सरी के लिए खोदी गई मिट्टी।
विंध्य ज्योति/ विजय कुमार अग्रहरी
चोपन, सोनभद्र। डाला वन रेंज की कार्यप्रणाली पर इन दिनों उंगली उठ रही है। जहां एक तरफ डाला रेंजर दावा करते है उनके वन रेंज में अवैध खनन बंद है तो वही दूसरी तरफ डाला वन रेंज से कुछ ही दूरी पर अवैध खनन का खेल सामने आया है। चर्चाओं का बाजार इस लिए भी गर्म है कि रेंजर ऑफिस के पास अवैध खननकर्ता कोई और नहीं रेंजर ऑफिस का चहेता है। चोपन और अन्य सटे इलाके में बालू मिट्टी के अवैध कार्यों में लिप्त है। आखिर किसके सरपरस्ती में इस तरह के अवैध कार्य किए जा रहे हैं, बता दें कि डाला वन रेंज कैंप आवास के पीछे बड़े पैमाने पर मिट्टी के टीले से बालू निकाला जा रहा है, ट्रैक्टर ट्राली और जेसीबी के पहिए के निशान साफ तौर पर देखे जा सकते है, स्थानीय लोगों की जानकारी के अलावा मीडिया की जानकारी में मामला आते ही खनन का कार्य बंद कर दिया गया, खबर से संबंधित डीएफओ ओबरा से बात की गई तो जांच की बात कहकर कन्नी काट लिए। एक सफ्ताह का समय गुजर गया लेकिन डीएफओ ने अभी तक जांच की बाबत कोई कार्यवाही नहीं की। वहीं डाला रेंजर से बालू अवैध खनन के बाबत पूछा गया तो इतना कहा कि नर्सरी के लिए उक्त जगह से मिट्टी ढुलाई वाहन से कराई गई है। बात यहां समझने वाली यह है कि मिट्टी ढुलाई का परमिशन सिर्फ डाला रेंज में नर्सरी की मिट्टी के लिए दिया गया था। बालू माफिया ने मौके का फायदा उठाकर मिट्टी के साथ- साथ बालू का अवैध खनन कर क्षेत्र में ऑर्डर पर सप्लाई भी कर दिया किसान अगर अपने ही खेत की मिट्टी का कटान कराकर दूसरी जगह गिराता है तो उसपर भारी भरकम जुर्माना लगा दिया जाता है। इस मामले में क्या नियम आड़े नहीं आया या मिलीभगत से पूरा खेल रच खनन माफिया को फायदा और अपना उल्लू सीधा किया गया।