संवाददाता। मस्तराम मिश्रा।
रेणुकूट। हिण्डाल्को रामलीला परिषद् द्वारा हिण्डाल्को रामलीला मैदान पर आयोजित हो रही रामलीला के सातवें दिन विभिषण शरणागत्, सेतु बंध रामेश्वरम् एवं रावण मन्दोदरी वार्तालाप आदि लीलाओं का बहुत ही सजीवता से मंचन किया गया। लीलाओं में माता सीता को श्रीराम को ससम्मान लौटाने हेतु भ्राता विभिषण रावण से प्रार्थना करते है परन्तु अपने दंभ में चूर रावण को अपने छोटे भाई की बाते नागवार गुजरती है और विभिषण को लात मारकर लंका से निकाल देते है। तब विभिषण प्रभु राम की शरण में जाते है जहां श्री राम उन्हें रावण को वध कर लंका का राजा बनाने का वचन देते है। इसके पश्चात् सेतुबंध रामेश्वरम् की लीलाओं में भगवान श्रीराम की वानर सेना लंका पर चढ़ाई हेतु सागर किनारे इकट्ठी होती है परंतु भीषण सागर को देख कर सब चिंता में पड़ जाते है तब श्रीराम शिवलिंग की स्थापना करके भगवान शिव की आराधना करते है और सागर का यह तट रामेश्वरम् के नाम से प्रसिद्ध हो जाता है। इसके उपरांत नल-नील व वानर सेना के सहयोग से श्रीराम के जयकारे के साथ समुद्र में सेतु बांधते है और लंका की ओर प्रस्थान करते है। उधर मन्दोदरी समुद्र में सेतु बंध जाने व श्रीराम द्वारा लंका पर चढ़ाई की बात सुन कर व्याकुल हो उठती है और रावण को समझाने का प्रयास करती है परंतु दिग्भ्रमित व अपने दंभ में चूर रावण मन्दोदरी की बात नही सुनते और युद्ध की तैयारी में जुट जाते है और इसी के साथ सातवें दिन की लीलाओं का समापन होता है इससे पूर्व हिण्डाल्को द्वारा संचालित स्कूलों के प्रधानाचार्यों एवं उप प्रधानाचार्यों तथा प्रोजेक्ट्स डिपार्टमेंट के वरिष्ठ अधिकारी बीपी शर्मा ने सपरिवार गणेश पूजन कर सातवें दिन की लीलाओं का शुभारंभ किया। रामलीला देखने के लिए हिण्डाल्को के मानव संसाधन प्रमुख जसबीर सिंह सपरिवार उपस्थित रहे और रामलीला मंचन की समाप्ति पर कलाकारों से मिलकर उनके उत्कृष्ट अभिनय की सराहना करते हुए सभी कलाकारों को बधाई दी।