खुखुन्दू में जियाउल हक हत्या मामले में सभी 10 दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई गई। उनके माता-पिता ने कहा कि फैसला देर से आया, लेकिन न्याय मिला। शमशुल हक ने सीबीआई की जांच पर सवाल उठाते हुए कहा कि मुख्य…
खुखुन्दू(देवरिया)। हिन्दुस्तान टीम जियाउल हक हत्याकांड में सभी 10 दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाए जाने पर उनके पिता शमशुल हक और मां हाजरा खातून ने कहा कि उन्हें फैसले से राहत मिली है। फैसला देर से जरूर आया लेकिन सही आया है। हमारा एक बेटा गया तो उनके 10 लोगों को सजा हुई। अच्छा होता कि मामले में कुछ पहले फैसला आ गया होता तो उनके दिल को और तसल्ली मिली होती।
खुखुंदू थाना क्षेत्र स्थित जुआफर गांव के रहने वाले शमशुल हक 80 की उम्र पार कर चुके हैं। उनकी पत्नी हाजरा खातून 78 साल की हैं। बुधवार को दोनों सुबह से ही सीबीआई कोर्ट के फैसले का इंतजार कर रहे थे। शाम तकरीबन 6 बजे उन्हें जैसे ही सीबीआई की विशेष कोर्ट के फैसले की जानकारी उन्हें हुई उनकी आँखे भर आईं।
वहां मौजूद मीडियाकर्मी उनके पास पहुंचे तो भरे गले से जिआउलहक के पिता शमशुल हक ने कहा कि अब जाकर न्याय हुआ है। हमें इस दिन का बेसब्री से इंतजार था। हत्यारों ने मेरा सब कुछ छीन लिया। अब किसी को खोने का क्या दर्द होता है उनके भी परिवार को पता चलेगा। मां हाजरा खातून ने कहा कि अब उन्हें तकलीफ होगी। जिन्हें सजा हुई है अब उनके माता-पिता भी रोएंगे।
दो आरोपियों को क्लीनचिट पर उठाए सवाल
मीडियाकर्मियों से बातचीत के दौरान शमशुल हक ने सीबीआई की जांच पर सवाल भी उठाए। उन्होंने कहा कि मामले में राजा भैया और गुलशन यादव मुख्य साजिशकर्ता थे। जांच में उन्हें क्लीनचिट दे दी गई। सीबीआई ने ठीक से काम किया होता तो आज उन्हें भी सजा मिलती। शमशुल हक का कहना था कि जबसे बेटे की पोस्टिंग प्रतापगढ़ में हुई थी तभी से राजाभैया इस बात को लेकर खार खाए हुए थे कि उनके दरबार में उनका बेटा नहीं जाता है।
बेटे ने उन्हें बताया था कि एक मामले में राजा भैया ने अपने कुछ लोगों के खिलाफ कार्रवाई नहीं करने के लिए उससे कहा था। जिआउल ने उनकी नहीं सुनी थी। इसके बाद उनके बेटे की हत्या की साजिश रच दी गई।