सुरौली(देवरिया), हिन्दुस्तान टीम। जिले में लगातार हो रही छेड़खानी की घटनाएं
सुरौली(देवरिया), हिन्दुस्तान टीम। जिले में लगातार हो रही छेड़खानी की घटनाएं के पीछे कहीं ना कहीं पुलिस भी जिम्मेदार है। पुलिस की सुस्ती ने शोहदों का मन बड़ा कर रखा है। स्कूलों के आसपास बाइक पर तीन चार की संख्या में शोहदे फर्राटा भरते हुए दिखते हैं।
स्कूलों के सामने अक्सर मारपीट की घटनाएं होते देखी जा सकती हैं। पुलिस की एंटी रोमियो टीम अभी इतिहास बन चुका है। छुट्टी के सयम स्कूलों के आसपास न पुलिस की गस्ती है, न सड़कों पर वाहन चेकिंग। वाहनों की चेकिंग होने से शोहदों का मन बड़ा हुआ है।
सड़कों पर तेज रफ्तार व लापरवाही से फर्राटा भर रहे शोहदे दुर्घटनाओं को भी दावत देते हैं। कहीं ना कहीं इसके लिए पुलिस भी जिम्मेदार है। सुरौली थाना क्षेत्र में दर्जन भर स्कूल है जहां छुट्टी के समय आज स्कूलों के आसपास शोहदों को मडराते हुए अक्सर देखा जा सकता है।
दो दिनों में हुई छात्राओं के साथ ज्वलनशीन पदार्थ फेंकने व शोहदों के छेड़खानी का वायरल विडियो ने जिले के कानून व्यवस्था पर सवाल खड़ा कर दिया है। सुरौली थाना क्षेत्र में दर्जन भर से अधिक इंटरमीडिएट कॉलेज हैं जहां छात्र और छात्राएं भारी संख्या में पढ़ते हैं। सुरौली, पैकौली, मझगावां में दे बड़े विद्यालय, पकड़ी बाजार, फुलवरिया, उसरा बाजार समेत विभिन्न जगहों पर दर्जन भर से अधिक स्कूल संचालित हैं जिसमें बड़ी संख्या में छात्र और छात्राएं पढ़ते हैं।
छुट्टी के समय इन विद्यालयों के सामने बाइक पर सवार तीन और चार की संख्या में तेजी से फर्राटा भरते हुए शोहदे दिखते हैं। ये शोगदे स्कूलों के आसपास मडरोते हैं और छात्राओं के साइकिलों को ओवरटेक कर सामने से कमेंट करते हैं। छात्राएं लोकज्जा से यह बात घरों में भी नहीं बतातीं और न ही उनका विरोध कर पातीं हैं। कुछ दिन पूर्व सुरौली थाना क्षेत्र के हरैयां में एक इसी प्रकार की घटना हुई। शहर के एक महिला विद्यालय की छात्राएं अपने गांव की तरफ जा रही थी।
वह हरैयां पहुंची थी कि सुरौली की तरफ से एक बाइक सवार तीन शोहदे उन्हें छिटांकशी करते हुए आगे बढ़े इसी बीच स्कूटी से गुजर रही एक महिला पुलिस ने उन्हें टोका और रोक कर फोटो खींचने की कोशिश की तो वह शोहदे महिला पुलिस को ललकारते हुए तेजी से बाइक घूमकर वापस भाग निकले। इस घटना के बाद भी पुलिस ने सक्रीयता नहीं दिखाई। ऐसी घटनाएं सामान्य हो गईं है।
पुलिस सिर्फ तहरीर का इंतजार रहता है जबकि ऐसी घटनाओं को लेकर कोई तहरीर नहीं देता है। छात्राएं संकोचवश शोहदों की हरकतों को परिजनों को नहीं बतातीं है। यदि परिजन के संज्ञान के बातें आती भीं हैं तो परिजन लोकलज्जा के कारण ऐसी घटनाओं की तहरीर नहीं देते।