रुद्रपुर के जंगल अकटहां में 1917 से रामलीला का मंचन हो रहा है। पौहारी महाराज के आशीर्वाद से शुरू हुई यह परंपरा आज भी गांव के युवकों द्वारा सहेजी जा रही है। रामलीला 10 दिन चलती है, जिसमें दिन-रात…
रुद्रपुर(देवरिया), नन्द किशोर गांधी। रुद्रपुर क्षेत्र के जंगल अकटहां में सन् 1917 में पौहारी महाराज के निर्देश पर रामलीला का मंचन शुरू हुआ है। इस परिपाटी को 108 वर्षों से गांव के युवक सहेजते चले आ रहे हैं। आज भी यहां लीला का मंचन गांव के ही युवक करते हैं। जिसे देखने के लिए क्षेत्रीय लोगों की भारी भीड़ जुटती है। गौरीबाजार विकास खण्ड के जंगल अकटहां गांव के रहने वाले बाबू स्वामीनाथ सिंह गंभीर रूप से बीमार थे। सन् 1917 में झाड़-फंूक, वैद्य व हकीम से तमाम इलाज के बावजूद उनके जीवन की उम्मीदें खत्म होती जा रही थीं। उन्हीं दिनों पौहारी महाराज भ्रमण पर थे। गांव वालों ने विचार किया कि क्यों न महाराज जी से आशीर्वाद लिया जाए। जिस पर बाबू जी के ज्येष्ठ पुत्र धनुषधारी सिंह ग्रामीणों के साथ पौहारी महाराज से मिलकर अपने गांव आने का आग्रह किए। जिस पर महाराज जी अपनी जमात व करीब 80 गायों के साथ अकटहां में महीने पर पड़ाव डालकर प्रवास किए।
महाराज का सानिध्य मिलने से बाबू स्वामीनाथ सिंह स्वस्थ्य होने लगे। महीने भर बाद गांव वालों को आशीर्वाद देकर इन्दूपुर कूच करने से पहले महाराज जी धनुषधारी सिंह को गांव में रामलीला कराने का निर्देश दिए। जिस पर धनुषधारी सिंह व कमला सिंह के साथ युवाओं की टोली बनारस गई। जहां भेलूबीर की रामलीला को दो रात देखने के बाद उनके प्रबन्धन के सहयोग से लीला के सामान खरीदे गए।
बनारस से लौटने के बाद सन् 1917 में कुवार माह के शुक्ल पक्ष के द्वितीया को आकाशवाणी से यहां रामलीला का शुभारंभ किया गया। जिसमें लुवठहीं गांव से ब्राह्मणों द्वारा भेजे गए बच्चों ने भगवान राम, लक्ष्मण व सीता की भूमिका निभाई। तभी से यहां रामलीला अनवरत चल रहा है। जिससे आज भी गांव के ही युवक लीला का मंचन करते हैं।
गांव के रामलीला मैदान में यह लीला दस दिन की होती है। जिसमें छह दिन में रात में एवं चार दिन दिन में लीला की जाती है। रामलीला समिति के मुख्य संरक्षक ई.रिपुदमन सिंह व अध्यक्ष लालजी सिंह ने बताया कि प्रबन्धन में 50 लोगों की समिति है। जिसमें पांच चयनीत प्रतिनिधि, 30 नामित प्रतिनिधि व 15 सदस्य हैं। इसके अलावा श्रीराम सेना में गांव के 30 युवक शामिल हैं। जो रामलीला के समय और मेला में आने वाले लोगों की सुरक्षा में जुटे रहते हैं।