देवरिया में सीजेएम ने सरकारी अस्पतालों के डाक्टरों द्वारा प्राइवेट मेडिको लीगल जारी करने पर जवाब मांगा है। यह मामला मारपीट की घटनाओं से संबंधित है। सीजेएम ने सीएमओ को एक सप्ताह में आख्या प्रस्तुत करने…
देवरिया, निज संवाददाता। रकारी अस्पतालों के डाक्टरों द्वारा प्राइवेट मेडिको लीगल करने पर सीजेएम ने जवाब मांगा है। मारपीट की घटनाओं में डाक्टरों द्वारा प्राइवेट मेडिको लीगल बना दिया जाता है। सीजेएम कोर्ट में एक मुकदमें की सुनवाई के दौरान यह मामला उजागर हुआ। सीजेएम ने सीएमओ से पूछा है किस नियम के तहत प्राइवेट मेडिको लीगल जारी किया जाता है इसका एक सप्ताह में आख्या प्रस्तुत करें। जिला मुख्यालय से लेकर सीएचसी, पीएचसी तक में डाक्टरों द्वारा मारपीट की घटनाओं में प्राईवेट मेडिको लीगल जारी कर दिया जाता है। इसमें कुछ प्राईवेट व्यक्तियों की भी संलिप्तता रहती है। उनके द्वारा सरकारी डाक्टर का मुहर, हस्ताक्षर युक्त मेडिको लीगल जारी कर दिया जाता है। उनकी डाक्टर से मिली भगत रहती है। जिला मुख्यालय की इमरजेंसी में भी सालों से इस तरह का खेल चल रहा है। अपना केस मजबूत बनाने व क्रास केस करने को प्राइवेट मेडिको लीगल का सहारा लिया जाता है। इसमें प्राइवेट मेडिको लीगल करने के नाम पर मोटी वसूली भी की जाती है। जबकि नियम है कि पुलिस के लाने पर ही सरकारी डाक्टर द्वारा पीड़ित का मेडिको लीगल किया जायेगा। लेकिन इस नियम की अनदेखी की जाती है। मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट न्यायालय में वाद संख्या 717-2024 अरूण कुमार गुप्ता प्रति रमेश गुप्ता अंतर्गत धारा 156 (3) थाना कोतवाली के पत्रावली की सुनवाई में प्राईवेट व्यक्ति द्वारा मेडिको लीगल कराने का मामला उजागर हुआ। प्राईवेट व्यक्ति के अस्पताल जाने पर सरकारी डाक्टर द्वारा मेडिकोलीगल पर अपना हस्ताक्षर, मुहर लगाते हुए बनाया गया। अन्य पत्रावलियों में भी यह तथ्य प्रकाश में आया कि सरकारी डाक्टरों द्वारा किसी भी प्राईवेट व्यक्ति के स्वयं अस्पताल जाने पर मारपीट में मेडिकोलीगल सर्टिफिकेट बनाकर जारी किया जा रहा है, जिस पर सरकारी डाक्टर का हस्ताक्षर व मुहर अंकित होता है। सीजेएम ने सीएमओ को पत्र जारी कर कहा कि यह सुनिश्चित करें कि किस नियम के तहत उक्त प्रकार का सर्टिफिकेट प्राईवेट व्यक्ति द्वारा मांगे जाने पर सरकारी डाक्टरों द्वारा जारी किया जा रहा है। उन्होंने एक सप्ताह में इस पर आंख्या मांगी है। वहीं समाजसेवी संजय पाठक ने भी जिलाधिकारी को विभिन्न नियमों, निर्देशों का हवाला देते हुए सरकारी अस्पतालों के डाक्टरों द्वारा प्राईवेट मेडिको लीगल जारी करने की शिकायत की है। उन्होंने इस पर रोक लगाने की मांग की है।