बाढ़ की वजह से कई लोगों के घरों में घुटनों तक पानी भरा हुआ है। घर में रखा अनाज पूरी तरह भीग गया है, जलावन की लकड़ियां भी गीली हैं। गैस चूल्हे से खाना पकाने के लिए सूखी जगह तक नहीं है। लोग सिंदुर, बच्चों की किताबें समेत जरूरी सामान बचाकर परिवार को सुरक्षित जगह ले जाने में जुटे हैं।
Flood in Bihar: उत्तर बिहार के कई इलाके बाढ़ की भयावहता से जूझ रहे हैं। सोमवार सुबह के आठ बजे हैं। गोपालगंज सदर प्रखंड के जागिरी टोला में गंडक नदी की बाढ़ का पानी गांव में ऐसे दौड़ रहा है कि मानो सर्वस्व निगल जाना चाहता हो। खेत-खलिहानों,सड़कों को जलप्लावित करते हुए चारों ओर फैल रहे पानी की गड़गड़ाहट सुनकर रोंगटे खड़े हो जा रहे हैं। अब तक भीषण बाढ़ से पंचायत के पांच वार्ड पूरी तरह जलमग्न हो चुके हैं। सड़क, नदी, आंगन और दरवाजे का फर्क मिट चुका है। मीलों दूर तक समुद्र जैसा नजारा है। कटघरवा और रामपुर टेंगराही पंचायतों तक चारों ओर अपार जलराशि दिख रही है।
जागिरी टोला के 400 घरों के चूल्हे चौके से लेकर चौकी-खटिया और पटिया तक डूब चुकी है। घुटने भर पानी में खड़े ग्रामीणों के चेहरे पर बाढ़ की भयावहता का खौफ है। वार्ड संख्या दो के विलास राम कहते हैं कि लगता है अबकी बार कुछ नहीं बचेगा। पानी उछाल मारते हुए फैल रहा है। टुनटुन यादव और विलास राम के घरों में पानी भंवर बनाते हुए तेजी से भर रहा है। दोनों बताते हैं कि दो घंटे में ही चौकी तक पानी पहुंच चुका है। गेहूं के बोरे का आधा हिस्सा भीग चुका है।
वार्ड संख्या दो के झुनझुन सिंह कहते हैं कि स्थिति विकराल है। करीब सवा सौ परिवार घर छोड़कर माल-मवेशियों के साथ अब तक निकल चुके हैं। गुलजारो देवी एवं उसके परिवार के लोग घर छोड़कर जाने से पहले सिंदूर की डिबिया से लेकर गेहूं और बऊआ (पोता) की किताब की मोटरी-गठरी बना रहे हैं। उसे एनडीआरएफ की टीम के पहुंचने और सुरक्षित पूरे परिवार को छरकी पर पहुंचाए जाने का इंतजार है।
एनडीआरएफ की टीम सुबह से ही लोगों को मंगुराहा छरकी पर पहुंचाने में शिद्दत से जुटी है। स्थानीय मुखिया रंजय कहते हैं खैरटिया हाई स्कूल और जागिरी टोला के प्राथमिकी विद्यालय की खिड़की तक पानी आ चुका है। लिहाजा मंगुराहा छरकी ही बाढ़ पीड़ितों के लिए सबसे सुरक्षित स्थल है। वहां शाम तक सामुदायिक रसोई भी खोलने की तैयारी है। गांव से निकलने वाली कमल चौधरी के टोला से जागिरी टोला सड़क पर पांच फुट पानी तेज प्रवाह के साथ बह रहा है।
खाना बनाने के लिए भी सूखी जगह नहीं
बाढ़ से बच निकलने की जद्दोजहद कर रहे ग्रामीणों के सामने भोजन और पीने के पानी की समस्या है। चूल्हे और लकड़ी के जलावान डूब चुके हैं। जिनके पास गैस चूल्हा है भी, उनके घर या अगल-बगल में कहीं सूखी जगह नहीं है कि भोजन बनाया जा सके। मोतीलाल प्रसाद कहते हैं कि भुंजा, सत्तू और बिस्किट ही सहारा है। चापाकल भी बाढ़ के पानी में डूब चुके हैं। इसलिए पीने के पानी की भी समस्या है।
कटघरवा में जल प्रलय का नजारा
कटघरवा पंचायत के सभी 12 वार्ड गंडक की बाढ़ से जलप्लावित हो चुके हैं। पंचायत के कटघरवा, खाप मकसूदपुर, मकसूदपुर, डोमाहाता एवं मंझरिया के ढाई सौ घरों में पानी घुसने के बाद पीड़ित परिवार मचान या फिर चौकी पर चौकी रखकर जान बचा रहे हैं। सुबह 10 बजे तक ग्रामीणों के सुरक्षित स्थानों की ओर निकलने के नाव की व्यवस्था नहीं हो सकी है। पूर्व मुखिया राजेश सहनी बताते हैं वे अपनी मोटर बोट से ग्रामीणों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने में जुटे हैं। रामनगर से खाप मकसूदपुर सड़क पर चार फीट तक पानी बह रहा है। पानी की धारा भी तीव्र है। लिहाजा सड़क पर पानी हेलकर निकलने पर बह जाने का खतरा है। आंगनबाड़ी केंद्र और स्कूलों में तीन से चार फीट पानी घुस जाने से कोई सुरक्षित स्थल नहीं बचा है।
सिकली देवी बताती है कि नीचे बाढ़ और ऊपर से बारिश से अनाज भी भीग गया है। ‘पापी पेट’ का सवाल है। इसलिए बांध पर पहुंचकर भीगे अनाज को सुखाएगी। वार्ड नंबर 12 के वीरजन प्रसाद कहते हैं कि धान,गन्ना और मक्का की फसलों के पौधे पूरी तरह डूब चुके हैं। अब एक दाना भी होना मुश्किल है। प्रशासन की ओर से गांवों में पीड़ित परिवारों के लिए पर्याप्त नाव तक की भी व्यवस्था नहीं है।