यूपी में मंगेश यादव एनकाउंटर के बाद सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच शुरू हुआ वार पलटवार का दौर मंगलवार को और तेज हो गया। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने एक ग्राफ जारी कर दावा किया कि यूपी में फर्जी एनकाउंटर कर 207 आरोपियों की हत्या की गई है। उन्होंने यह भी दावा किया कि इनमें से सबसे ज्यादा 125 पीडीए यानी पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यकों को एनकाउंटर के नाम पर यूपी की पुलिस ने मार डाला है। हालांकि अखिलेश के ग्राफ से यह नहीं पता चल रहा कि 207 फर्जी एनकाउंटर पिछले एक साल में हुए या योगी सरकार आने के बाद पूरे कार्यकाल के दौरान हुए हैं।
अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर यह ग्राफ पोस्ट करते हुए लिखा कि भाजपा राज में एनकाउंटर का आंकड़ा गैर कानूनी हत्याओं की नाइंसाफी का भी आंकड़ा है और साथ ही पीडीए के विरूद्ध हुए अन्याय का भी। ग्राफ में सबसे ऊपर लिखा है कि फेक एनकाउंटर में मारे गए आरोपियों के आंकड़े।
इसके बाद नीचे तीन चार्ट के जरिए यह बताया गया है कि कुल कितने लोगों को मारा गया है। इसमें 60 प्रतिशत के साथ 125 आरोपी पीडीए से संबंधित होने का दावा किया गया है। इसके साथ ही 40 ऐसे लोगों को फर्जी एनकाउंटर में मारा गया जो गैर पीडीए थे। अखिलेश का ग्राफ यह भी बता रहा है कि 42 ऐसे आरोपियों को भी फर्जी एनकाउंटर में मारा गया है जिनका डाटा उपलब्ध ही नहीं है।
अखिलेश यादव सुल्तानपुर में हुए मंगेश यादव एनकाउंट के बाद से हमलावर हैं। सर्राफा के यहां डकैती में आरोपी बताते हुए मंगेश को पुलिस ने एनकाउंटर में मार गिराया था। एनकाउंटर के बाद से अखिलेश यादव यूपी की योगी सरकार पर हमले भी कर रहे हैं और लोगों को पोस्ट के जरिए जवाब भी दे रहे हैं। ऐसा ही जवाब उन्होंनं मंगलवार की सुबह भी दिया। लिखा कि कुछ लोग कह रहे हैं कि यदि एनकाउंटर पर कोई शक़ है तो न्यायालय में जाकर गुहार लगाएं। ऐसे लोगों से बस इतना पूछना है कि क्या न्यायालय से किसी की जान भी वापस मिल सकती है?
मंगेश एनकाउंटर के बाद अखिलेश ने सरकार पर बड़ा आरोप लगाते हुए यहां तक दावा किया था कि दो दिन पहले जिसको उठाया और एनकाउंटर के नाम पर बंदूक़ सटाकर गोली मारकर हत्या की गयी। अब उसकी मेडिकल रिपोर्ट बदलवाने का दबाव डाला जा रहा है। इस संगीन शासनीय अपराध का सर्वोच्च न्यायालय तुरंत संज्ञान ले, इससे पहले की सबूत मिटा दिये जाएं।
अखिलेश का कहना है कि जाति देखकर सरकार एनकाउंटर कर रही है। इससे पहले कहा था कि ऐसा लगता है सुल्तानपुर की डकैती में शामिल लोगों से सत्ता पक्ष का गहरा संपर्क था, इसीलिए तो नक़ली एनकाउंटर से पहले ‘मुख्य आरोपी’ से संपर्क साधकर सरेंडर करा दिया गया और अन्य सपक्षीय लोगों के पैरों पर सिर्फ़ दिखावटी गोली मारी गयी और ‘जात’ देखकर जान ली गयी।
जब मुख्य आरोपी ने सरेंडर कर दिया है तो लूट का सारा माल भी पूरा वापस होना चाहिए और सरकार को मुआवज़ा अलग से देना चाहिए क्योंकि ऐसी घटनाओं का जो मानसिक आघात होता है उससे उबरने में बहुत समय लगता है, जिससे व्यापार की हानि होती है, जिसकी क्षतिपूर्ति सरकार करे।
नक़ली एनकाउंटर रक्षक को भक्षक बना देते हैं। समाधान नक़ली एनकाउंटर नहीं, असली क़ानून-व्यवस्था है। भाजपा राज अपराधियों का अमृतकाल है। जब तक जनता का दबाव व आक्रोश चरम सीमा पर नहीं पहुँच जाता है, तब तक लूट में हिस्सेदारी का काम चलता रहता है और जब लगता है जनता घेर लेगी तो नक़ली एनकाउंटर का ऊपरी मरहम लगाने का दिखावा होता है। जनता सब समझती है कि कैसे कुछ लोगों को बचाया जाता है और कैसे लोगों को फँसाया जाता है।