मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने रविवार को कहा कि राज्य के शहरी क्षेत्रों में पब्लिक ट्रांसपोर्ट की सुविधाएं बढ़ाने के लिए ‘वंदे मेट्रो’ परियोजनाओं पर विचार किया जा रहा है। यादव ने इंदौर में जारी विकास कार्यों की समीक्षा बैठक में शामिल होने के बाद कहा कि हम प्रदेश में पब्लिक ट्रांसपोर्ट को वंदे मेट्रो तक ले जाने की तैयारी कर रहे हैं। आइए जानते हैं उन्होंने इस बारे में क्या-क्या जानकारियां दी हैं।
कितनी होगी स्पीड
मध्य प्रदेश के सीएम मोहन यादव ने कहा कि मौजूदा मेट्रो रेल अधिकतम 80 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से दौड़ सकती है, जबकि पहले से बनी ब्रॉडगेज लाइन पर चलने वाली वंदे मेट्रो रेल 160 किलोमीटर प्रति घंटा तक की रफ्तार हासिल कर सकती है। उन्होंने भरोसा दिलाया कि उज्जैन में वर्ष 2028 में लगने वाले सिंहस्थ कुंभ मेले से पहले इस शहर को इंदौर के साथ मेट्रो रेल के जरिये जोड़ दिया जाएगा।
बता दें कि मोहन यादव इंदौर के प्रभारी मंत्री हैं। उन्होंने जिले के विकास कार्यों को लेकर पहली बार प्रभारी मंत्री के तौर पर समीक्षा बैठक की अध्यक्षता की है। मुख्यमंत्री ने कहा कि इंदौर में मेट्रो परियोजना के तहत पहले से चल रहे कामों की गति बढ़ाई जाएगी और शहर में यातायात की समस्या दूर करने के लिए एलिवेटेड सड़कें बनाई जाएंगी। यादव ने यह भी कहा कि प्रदेश सरकार इंदौर, उज्जैन, देवास और धार जिलों के हिस्सों को मिलाकर मेट्रोपोलिटन प्राधिकरण बनाने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रही है।
रविवार को सीएम मोहन यादव ने कहा कि हमने प्रदेश के चार महानगरों में मेट्रोपोलिटन प्राधिकरण बनाने का खाका तैयार किया है। हालांकि, इस सिलसिले में सबसे अच्छी व्यवहार्यता रिपोर्ट इंदौर और उज्जैन के बारे में आई है। बाकी महानगरों में भी मेट्रोपोलिटन प्राधिकरण बनाए जाएंगे। यादव ने बताया कि उन्होंने समीक्षा बैठक में अफसरों को निर्देश दिए कि इंदौर के शहरी और ग्रामीण निकायों के बीच तालमेल बढ़ाकर सुनियोजित विकास सुनिश्चित किया जाए।
सीएम ने कहा कि इंदौर नगर निगम की सीमा में वर्ष 2012 में 29 गांव जोड़े गए थे। इन गांवों में पेयजल, सड़क, सीवेज और अन्य बुनियादी सुविधाएं मुहैया कराने के लिए जन प्रतिनिधियों ने अलग-अलग सुझाव दिए हैं। मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में आयोजित समीक्षा बैठक में आला अफसरों के साथ ही सूबे के नगरीय विकास एवं आवास मंत्री कैलाश विजयवर्गीय, इंदौर के लोकसभा सांसद शंकर लालवानी और शहर के महापौर पुष्यमित्र भार्गव भी मौजूद थे।