देवरिया, निज संवाददाता। जिले में हर महीने सर्पदंश से लोगों की जान जा रही है। अगस्त महीने में 11 लोग सर्पदंश के शिकार हुए हैं। हाल के दिनों में सांप काटने की घटनाएं बढ़ी है। घरों और खेतों में कार्य करने के दौरान अधिकांश सर्पदंश की घटनायें हो रही हैं। बरसात का सीजन शुरू होते हैं सर्पदश की घटनायें बढ़ जाती है। बरसात होने से बिलों में पानी भरने से अधिकांश सर्प बाहर से निकल कर घरों, लकड़ी रखने वाले जगह व उंचे स्थानों पर चले जाते हैं। उमस भरी गर्मी के चलते भी सर्प बिलों से बाहर निकल कर विचरण करने लगते हैं। सर्पदंश की अधिकांश घटनायें रात में कार्य करते या सोते समय होती है।
इसके अलावा बरसात के सीजन में खेतों में कार्य करते, पशुओं को चराने के दौरान भी लोगों को सर्प डंस लेता है। नदी, नाले व नहरी वाले क्षेत्रों बरसात के दौरान अधिक पानी होने पर सर्प सुरक्षित ठिकाने की तलाश में आबादी की तरफ चले जाते हैं। इससे बरसात के सीजन में सर्पदंश की घटनायें बढ़ जाती है।
जब से बरसात का सीजन शुरू हुआ है आये दिन अस्पतालों में सर्पदंश के पीड़ित पहुंच रहे हैं। समय से अस्पताल पहुंचने पर सर्पदंश के पीड़ितों की जान बच जाती है, लेकिन जो झाड़ फूंक के चक्कर में पड़ते हैं उनके अस्पताल पहुंचने में विलंब होता है उनकी जान बचाना मुश्किल हो जाता है। अगस्त महीने में ही 11 लोग सर्पदंश के शिकार हुए थे। बरसात में की सर्पदंश बढ़ती घटनाओं को देखते हुए अस्पतालों पर इसका इलाज करने की दवायें, इंजेक्शन आदि उपलब्ध कराया गया है।
सर्पदंश के शिकार 13 को मिली आपदा विभाग से मदद
सर्पदंश से मौत होने पर मृतक के परिजनों को आर्थिक सहायता दी जाती है। इस साल अब-तक 13 को आपदा विभाग से 4-4 लाख की आर्थिक मदद दी गयी है। सर्पदंश से मौत होने पर जिनका परिजना पोस्टमार्टम कराते हैं उन्हीं को आपदा विभाग द्वारा आर्थिक सहायता दी जाती है।
अधिकांश लोग कर देते हैं बिना पोस्टमार्टम अंतिम संस्कार
सर्पदंश की अक्सर घटनायें होती रहती हैं। यह बात अलग है कि बरसात के सीजन में इसकी संख्या बढ़ जाती है। सर्पदंश से मौत के बाद पोस्टमार्टम कराने पर ही आपदा विभाग से मृतक के परिजनों को आर्थिक सहायता दी जाती है। लेकिन जानकारी के अभाव में अधिकांश लोग सर्पदंश से मौत मामले में शव का पोस्टमार्टम नहीं कराते हैं, जिससे परिजन 4 चार लाख की आर्थिक सहायता से वंचित हो जाते हैं।