संवाददाता। विजय कुमार अग्रहरी।
घोरावल सोनभद्र। घोरावल ब्लॉक के शिवद्वार मंदिर परिसर मे हो रहा सात दिवसीय श्री शिव शक्ति महायज्ञ एवं श्रीमद्भागवत महापुराण गुरुवार को संपन्न हो गया। महायज्ञ के आखिरी दिन काशी के मुख्य यज्ञाचार्य पं. शिवनाथ तिवारी के नेतृत्व में यज्ञाचार्यों ने कलश विसर्जन, पूर्णाहुति, मंडपादि के समस्त कार्यक्रम सनातन परंपरा के अनुरूप विधि विधान से किया। पूर्णाहुति के बाद श्रद्धालुओं ने देर शाम तक चले विशाल भंडारे में प्रसाद भी ग्रहण किया। श्रीमद्भागवत महापुराण कथा के अंतिम दिन व्यास पीठ की पूजा के बाद वेद प्रकाश आचार्य जी ने श्रीकृष्ण के 16108 विवाहों की कथा, कृष्ण सुदामा मिलन और राजा परीक्षित एवं कलियुग के आगमन का बड़ा ही भावपूर्ण वर्णन एवं मार्मिक विश्लेषण कर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। उन्होंने कहा मित्रता का आदर्श रूप है भगवान श्रीकृष्ण व सुदामा जी की मित्रता। पत्नी के आग्रह पर सुदामा अपने सखा द्वारिकाधीश के महल के द्वार पर तैनात द्वारपालो से कहते हैं कि वह कृष्ण के मित्र हैं। इस पर द्वारपाल महल में जाकर जब प्रभु से सुदामा के आने की बात कही तो सुदामा नाम सुनते ही श्रीकृष्ण बेसुध होकर सुदामा सुदामा कहते हुए तेजी से द्वार की तरफ भागे और सुदामा को अपने सीने से लगा लिया। यह देख सभी लोग अचंभित हो गए। कृष्ण सुदामा को अपने राज सिंहासन पर बैठाया। उन्होंने कहा कि ज्ञान, भक्ति, उत्तम चरित्र और धर्म के अनुसरण से मानव अपने जीवन का कल्याण कर सकता है। श्री शुकदेव जी ने राजा परीक्षित को भागवत महापुराण सात दिन के अंदर सुना कर उन्हें श्रीहरि विष्णु के परम धाम का अधिकारी बनाया। भागवत महापुराण का सदा श्रवण करना चाहिए, बार-बार करना चाहिए यह भगवान की अनंत कथा है, जो निरंतर चलती रहती है। उन्होंने कहा कि कलियुग में भगवान के नाम का जाप कल्याण का सर्वश्रेष्ठ साधन है। इस मौके पर महंत सुरेश गिरी, रामनिवास शुक्ला, कामता प्रसाद शुक्ला, रमाकांत दुबे, अजय गिरी, शिवनारायण सिंह, शिवराज गिरी, सतीश गिरी समेत ढेर सारे श्रद्धालु मौजूद रहे।