संवाददाता। विजय कुमार अग्रहरी।
● नियम विरुद्ध 12 घंटे कराया जा रहा मजदूरों से काम, न्यूनतम मजदूरी का भी नहीं हो रहा भुगतान।
● ठेका मजदूर यूनियन के सम्मेलन में उठेगी आवाज।
ओबरा, सोनभद्र। निर्माणाधीन ओबरा सी परियोजना में मजदूरों से आधुनिक गुलामी कराई जा रही है। तमाम कंस्ट्रक्शन कंपनियों में मजदूरों से गैर कानूनी ढंग से 12 घंटे काम कराया जा रहा है और न्यूनतम मजदूरी का भी भुगतान नहीं किया जा रहा है। हालत इतनी बुरी है कि कई-कई महीना मजदूरों की मजदूरी बकाया है। यह मजदूरों की जीवन सुरक्षा पर गंभीर खतरा पैदा कर रहा है। इस सवाल पर ठेका मजदूर यूनियन के 18 फरवरी को पिपरी में आयोजित सम्मेलन में रणनीति बनाई जाएगी। यह बातें आज ओबरा में मजदूरों से संवाद करते हुए यू. पी. वर्कर्स फ्रंट के प्रदेश अध्यक्ष व पूर्व श्रम बंधु दिनकर कपूर ने कहीं।
उन्होंने कहा कि कोरोना काल में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा काम के घंटे 12 करने की कोशिश की गई थी। जिसे हाईकोर्ट में हमारे हस्तक्षेप के बाद सरकार को वापस लेना पड़ा था। मोदी सरकार संसद से पारित किए गए लेबर कोड के जरिए काम के घंटे 12 करने की कोशिश कर रही है। लेकिन राष्ट्रीय स्तर पर हो रहे विरोध के कारण अभी लागू नहीं कर पाई है। इसके लागू न होने के बावजूद ओबरा सी में तमाम कंपनियों में 12 घंटे काम कराया जा रहा है। कुशल मजदूरों तक को 350 रूपए मजदूरी देकर काम कराया जा रहा है। इस व्यवस्था के कारण मजदूर महज 6 से 7 घंटा ही सो पा रहे हैं जिससे उनके जीवन का भीषण नुकसान हो रहा है। यह और कुछ नहीं रोजगार संकट के इस दौर में मजदूरों की मजबूरी का फायदा उठाकर कराई जा रही आधुनिक गुलामी है। इसके खिलाफ श्रम विभाग को पत्र भेजा जाएगा और जांच कराने की मांग की जाएगी। उन्होंने कहा कि प्रदेश में न्यूनतम मजदूरी का वेज रिवीजन ना होने के कारण मजदूरी बेहद कम है और इस महंगाई में मजदूरों के लिए अपना जीवन यापन करना कठिन होता जा रहा है। कल विधान परिषद में श्रम मंत्री ने भी स्वीकार किया कि शीघ्र ही प्रदेश में वेज बोर्ड का गठन किया जाएगा। यह आंदोलन की जीत है। अब सरकार को प्रदेश में 26000 रूपए मासिक न्यूनतम वेतन करना चाहिए। संवाद में यूनियन के जिला संयुक्त मंत्री मोहन प्रसाद, उपाध्यक्ष तीरथराज यादव, राजेश वाल्मिकी, मनोज कुमार गुप्ता, मनोज यादव, वीरेंद्र सेठ, उग्रसेन शर्मा, इबरान, करण बर्रुल आदि मजदूरों ने अपनी बात रखी।