संवाददाता – विजय कुमार अग्रहरि।
चोपन/सोनभद्र। कहा जाता है भारत युवाओं का देश है और युवा किसी भी देश की तरक्की में बड़ा योगदान देते है। युवा अगर किसी कार्य को करने की ठान ले तो उस कार्य को पूरा करके ही दम लेते है। ऐसा ही एक नजराना देखने को मिला चोपन नगर में जहां के युवाओं ने नगर को गड्ढा मुक्त की ठानी और नारा दिया अब नहीं है सोचना जन चेतना के जरिए निखरेगा चोपन का कोना-कोना। आपको बताते चलें कि चोपन नगर के कुछ युवाओं ने आपसी सहयोग से सेवा कार्य करने की योजना बनाई और इस योजना को अपने युवा साथियों के सामने रखा। जिसके बाद एक के बाद एक युवा सेवा कार्य में जुटता चला गया। चोपन नगर में कई ऐसी सड़के है व नालियां हैं जिनमे नए कार्य कराने के 6 महीने के भीतर भ्रष्टाचार की वजह से नालियों व सड़कों ने दम तोड़ दिया है। फिलहाल युवाओं ने सेवा कार्य के ज़रिए अभी तो नालियों पर ही फोकस किया है। आने वाले समय में नगर में सीसी रोड व खड़ंजे को दुरुस्त करते दिखेंगे। सेवा कार्य करते हुए युवाओं ने कहा कि, चोपन नगर पंचायत में भ्रष्टाचार चर्म पर है मानक के अनरूप कार्य न होने की वजह से नालियों को कवर करने वाली पटिया में बड़े-बड़े गड्ढे हो गए हैं। जिससे बराबर बदबू आती है और कई जानवर व मोटरसाइकिल सवार सहित अन्य लोग उसमे गिरकर घायल हो जाते है। साथ ही गंदे नालियों की वजह से उनमें खतरनाक मच्छर पैदा होते हैं और गंभीर बीमारियां फैलाते हैं। तमाम प्रकार की समस्या से नगर वासी जूझ रहे हैं। युवाओं का कहना है कि कई बार नगर पंचायत कार्यालय पर इस बाबत शिकायत भी की गई लेकिन समस्या की समाधान की कोई किरण नहीं दिखी। मजबूर होकर चोपन नगर को गड्ढा मुक्त करने का संकल्प लिया गया। नगर के गणमान्य लोगों से अपील करते हुए युवाओं ने कहा कि, नगर में कहीं भी गड्ढा युक्त नालियां मिलेगी तो हमें बताने का कष्ट करें। हम सब आपसी सहयोग से उसे कार्य को तुरंत करवाएंगे और जिले क्या अन्य नगर पंचायतों में एक मिशाल बनाएंगे। आसपास की जनता युवाओं की सोच के आगे नतमस्तक होकर उनकी तारीफ करते नहीं थक रहे। युवाओं की माने तो हर मोहल्ले व वार्ड वाले सिर्फ अपने गली और आसपास की गलियों की जिम्मेदारी स्वयं ले लें तो पूरा नगर गड्ढा मुक्त हो जाएगा यही असली नर सेवा और नारायण सेवा होगी। राज्य सरकार सभी नगर पंचायतों को अच्छा खासा फंड उपलब्ध कराती है नगर के विकास के लिए। लेकिन चंद पैसों की लालच में आकर कार्यदायी संस्था मानक के अनरूप कार्य नहीं करती और इसमे शायद जिम्मेदार अधिकारियों की भी पूरी हामी होती है। अधिकारियों को भी होगा सोचना कैसे चमकेगा नगर का कोना कोना।