संवाददाता – विकास कुमार हलचल।
राबर्टसगंज/सोनभद्र-विन्ध्य पर्वत पर अवस्थित मिर्जापुर- सोनभद्र जनपद का इतिहास,धर्म, दर्शन में महत्वपूर्ण स्थान है।धर्म दर्शन में महत्वपूर्ण स्थान है। इतिहासकार दीपक कुमार केसरवानी के अनुसार भगवान श्री कृष्ण के काल में इन दोनों जनपदों मिर्जापुर-सोनभद्र जनपद का ऐतिहासिक, अध्यात्मिक, राजनैतिक,धार्मिक महत्व था। मीरजापुर जनपद में स्थित चुनारगढ़ पर कभी जरासंघ का अधिकार था उसके द्वारा किले में सोलह सौ रानियों को कैद किया गया था, योगेश्वर भगवान श्रीकृष्ण द्वारा जरासंघ का बध कर सोलह सौ रानियों को इस किले से मुक्त कराया गया था,इसी प्रकार इस जिले में लाक्षागृह का निर्माण दुर्योधन ने पांडवों को मारने के लिए उस काल में कराया था और वह लाह सोनभद्र जनपद से मंगाया गया था सोनभद्र जनपद में स्थित पांडव चट्टान महाभारत काल से संबंधित है
साहित्यकार प्रतिभा देवी के अनुसार-यह क्षेत्र कृष्ण भक्तों का गढ़ रहा है कृष्ण भक्तों में प्रमुख रूप बल्लभाचार्य जी का नाम आता है,मिर्जापुर में इनसे जुड़े हुए अनेक स्थल आज भी विद्यमान है,उसी प्राचीन भक्ति परंपरा को कायम रखते हुए जनपद सोनभद्र के मुख्यालय राबर्टसगंज के रामलीला मैदान मे कृष्ण भक्तो द्वारा बांके बिहारी मंदिर की स्थापना कराई गई। मंदिर के संस्थापक पूर्व अध्यक्ष जितेंद्र सिंह के अनुसार-” इस मंदिर के निर्माण के पूर्व शंकराचार्य जी का आगमन नगर में हुआ था और मंदिर की नींव की खुदाई का कार्य आरंभ हुआ इस मंदिर के नीव में पवित्र भगवान श्रीकृष्ण की जन्मभूमि मथुरा से मिट्टी ले कर रखी गई ।
मंदिर का निर्माण से भगवान श्री कृष्ण की जन्मभूमि मथुरा स्थित बांके बिहारी मंदिर के शैली के अनुसार कराई गई एवं बाके बिहारी राधारानी की संगमरमर की मूर्ति,वस्त्र, आभूषण इत्यादि भी मथुरा से ही मंगाया गया था,मंदिर की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन करने वाले रामलीला समिति के अध्यक्ष पवन जैन के अनुसार-” मंदिर का उद्देश्य सोनभद्र वासियों को कृष्ण जन्मभूमि से जुड़े रखना है,यहां पर सभी पर्व त्योहार मथुरा के नियमानुसार संपन्न कराये जाते हैं। भक्ति प्रमोद कुमार गुप्ता के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण एवं राधा रानी से जुड़े हुए सभी पर्व त्योहार बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाए जाते है, मुख्य रूप से जन्माष्टमी का पर्व मथुरा के ही तिथि, समय अनुसार मनाया जाता है। भक्ति गुलाबी देवी के अनुसार बांके बिहारी के मंदिर में आने से आध्यात्मिक सुख की प्राप्ति होती हैं।
मंदिर के पुजारी का मानना है कि- भगवान श्रीकृष्ण और राम समय- समय परअवतार लेकर दुष्टों का विनाश करते हैं। श्री कृष्ण जन्मोत्सव का जन्माष्टमी से छह दिवसीय चलने वाले इस पर्व पर जहां हजारों श्रद्धालु बांके बिहारी का दर्शन कर आध्यात्मिक सुख, शांति,प्राप्त कर रहे हैं वहीं दूसरी ओर मंदिर समिति द्वारा हरि कीर्तन, अखंड रामायण एवं गीता के पाठ, भजन संध्या इत्यादि कार्यक्रमों के माध्यम से भारतीय धर्म, संस्कृति, आध्यात्म का प्रचार प्रसार किया जा रहा है भक्ति का प्रतीक बांके बिहारी मंदिर भक्तजनों के मनोकामना के पूर्ण होने का स्थान है वहीं दूसरी ओर भगवान श्रीकृष्ण से जुड़े हुए कथाओं ,गीता के प्रचार- प्रसार का माध्यम भी है।