वैशेषिक दर्शन में भौतिक विज्ञान विषय पर प्रस्तुत किया अनुसंधान।
- आईआईटी रुड़की में हुआ था तीन दिवसीय आयोजन।
सोनभद्र। आईआईटी रुड़की, भारतीय ज्ञान परंपरा विभाग और केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, नई दिल्ली के संयुक्त तत्वावधान में 25 से 27 सितंबर तक आयोजित त्रिदिवसीय राष्ट्रीय भारतीय ज्ञान प्रणाणी युवा कांफ्रेंस में सोनभद्र के डॉ. मुनीश कुमार मिश्र के अनुसंधान पोस्टर को दर्शन वर्ग में बेस्ट पोस्टर प्रजेंटेशन अवार्ड से सम्मानित किया गया। भारतीय ज्ञान प्रणाली युवा कांफ्रेंस का आयोजन आईआईटी रुड़की में संपन्न हुआ जिसमें भारतीय ज्ञान- विज्ञान में अनुसंधान, अध्ययन व अध्यापन करने वाले युवा पूरे भारतवर्ष से शामिल हुए थे। ज्योतिष, आयुर्वेद, वास्तुशास्त्र, दर्शन, वसुधैव कुटुंबकम् आदि कुल आठ वर्गों में 250 प्रतिभागियों ने अपने एक से बढ़कर एक अनुसंधान कार्य को पोस्टर के माध्यम से प्रदर्शित किया, जिसमें डाक्टर मुनीश मिश्र की दर्शन वर्ग में वैशेषिक दर्शन में भौतिक विज्ञान विषयक पोस्टर प्रस्तुति को निर्णायक मंडल ने उत्कृष्ट अनुसंधान मानते हुए बेस्ट पोस्टर प्रजेंटेशन अवार्ड प्रदान किया, जिसे समापन समारोह में अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद् के अध्यक्ष और आईआईटी रुड़की के निदेशक के द्वारा प्रदान किया गया। सोनभद्र जिले के पन्नूगंज थाना क्षेत्र स्थित जयमोहरा गांव निवासी डॉ मुनीश मिश्र ने बताया कि वैशेषिक दर्शन ही वास्तव में प्राचीन भारतीय भौतिक विज्ञान है, जिसकी रचना महर्षि कणाद ने की थी। वैशेषिक दर्शन सात पदार्थों के आधार पर अपने भौतिक विज्ञान के सिद्धांतों की स्थापना करता है। परमाणु के स्वरूप, उसके सिद्धांत और परमाणु से सृष्टि प्रक्रिया का विवेचन भी सर्वप्रथम वैशेषिक दर्शन में ही किया गया है, इसी कारण कणाद को परमाणु शास्त्र का जनक कहा जाता है। इसके अतिरिक्त सात प्रकार के रंग, छः प्रकार के रस, दो प्रकार के गंध, गुरुत्वाकर्षण, द्रवत्व, प्रत्यक्ष प्रक्रिया, ध्वनि विज्ञान, गति विज्ञान, संख्या उत्पत्ति, पाक प्रक्रिया आदि का सूक्ष्म और विशद विवेचन किया गया है। कांफ्रेंस में डॉ. मिश्र ने पदार्थों के परिचय और द्रव्यों में रहने वाले गुणों, पाकज प्रक्रिया, सृष्टि प्रक्रिया और चाक्षुष प्रत्यक्ष प्रक्रिया का निरूपण किया था। कांफ्रेंस में से IKS के राष्ट्रीय समन्वयक प्रो. गंटी मूर्ति, सह समन्वयिका प्रो. अनुराधा चौधरी, प्रो. संजय शर्मा आदि ने मिश्र के अनुसंधान की सराहना की। कांफ्रेंस में डॉ मिश्र के कार्य को जानने और समझने के लिए लोगों में जबरजस्त उत्साह दिखा। डॉ. मिश्र ने काशी हिंदू विश्वविद्यालय वाराणसी से पीएचडी करने के उपरांत संपूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय, BHU और पाणिनी संस्कृत विश्वविद्यालय उज्जैन में भी अध्यापन कार्य कर चुके हैं। वर्तमान में आप अपने ट्रस्ट “वैदिक धर्म संस्कृति संवर्धन फाउंडेशन” के द्वारा IKS के दो प्रॉजेक्ट न्यायंजनम् और न्यायशास्त्र आचार्य परम्परा विषय पर अनुसंधान कार्य कर रहे हैं।