संवाददाता – अनुपम कुमार चौबे।
घर घर वेद -डॉ ज्ञानेंद्र जी।
सोनभद्र। वैदिक शिक्षा एव सामाजिक विकास के तत्वाधान में आज गुरुकुल सामाजिक उद्द्बोधन कार्यक्रम का आयोजन उदय प्रकाश देव पाण्डेय के नेतृत्व में किया गया। मुख्य अतिथि के रूप में डॉ ज्ञानेंद्र जी जो सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय में सहायक प्रोफेसर के पद पर कार्यरत है ! उन्होंने घर घर वेद का नारा देते हुए भारतीय शिक्षा के बारे में चर्चा की और गुरु कुल के बारे में लोगो को सम्बोधित करते हुए उन्होंने कहा कीवेद , विश्व के सबसे प्राचीन साहित्य भी हैं। भारतीय संस्कृति में वेद सनातन वर्णाश्रम धर्म के मूल और सबसे प्राचीन ग्रन्थ है।लोग धार्मिक ग्रंथ वेद-पुराणों को जटिल समझ लेते हैं और इसे पढ़ने या इसकी जानकारी प्राप्त करने से पीछे हट जाते हैं. लेकिन यदि आपको इसके सही क्रम पता हो तो वेद-पुराणों को समझना बेहद आसान है.वेद शब्द का प्रयोग प्राचीन समय में सामान्य रूप से सभी विषयों के लिए किया जाता था। वेदों के बारे में अलग-अलग मान्यताएं प्रसिद्ध है उनमें से एक मान्यता यह भी है कि वेद सृष्टि के आरंभ से है और परमात्मा द्वारा मानव मात्र के कल्याण के लिए दिए गए हैं। कुछ विद्वान वेद के काल की अवधि 1500 -600 ईसा पूर्व के मध्य मानते हैं तो कुछ विद्वान इन्हें ताम्र पाषाण काल 4000 ईसापुर का मानते हैं।गुरुकुल या वैदिक शिक्षा के उद्देश्य एवं आदर्श के बारे में चर्चा करते हुए बताया की वेदों के युग में शिक्षा का स्वरूप आदर्शवादी था। ईश्वर भक्ति, धार्मिकता, आध्यात्मिकता, चरित्र निर्माण, व्यक्तित्व के विकास, संस्कृति, राष्ट्र तथा समाज के विकास के प्रति अभिवृत्ति विकसित करने पर आचार्यजन बल देते थे !व्यक्तित्व का समन्वित विकास, स्वस्थ चरित्र का निर्माण, सभ्यता एवं संस्कृति का संरक्षण एवं प्रसार, व्यावसायिक कुशलता का विकास, दायित्वों के निर्वाह की क्षमता का विकास,, ज्ञान एवं अनुभव पर बल, इन विन्दुओं पर चर्चा जो मानव जीवन में अति आवश्यक है से लोगो को समझाया और समाज में वैदिक शिक्षा का विस्तार हेतु लोगो को जागरूक अति आवश्यक है ! सोनभद्र में वैदिक शिक्षा एव सामाजिक विकास समिति लोगो को जागरूक और घर घर वेद का नारा लेकर भारतीय शिक्षा का विकास कर रही है !घर घर वेद का मुख्य उदेश्य यह है की गुरुकुल में अपने बच्चो को कम से कम तीन साल वेद का ज्ञान दिलाय जाय जिससे सस्कार और सामाजिक विकास हो सके !