सन्तोष मिश्रा के साथ अनुज जायसवाल की रिपोर्ट।
सोनभद्र: सोनंचल में एक सड़क निर्माण के दौरान वन विभाग का दिखा सौतेला व्यवहार
बताते चलें की पटवध बसुहारी मार्ग का है यह पूरा मामला
जहां पर संबंधित सड़क निर्माण के दौरान वन विभाग के दोहरी नीति का ताजा मामला प्रकाश में आया गौरतलब हो की बन रही पटवध बसुहारी मार्ग जिसकी दूरी तकरीबन 60 किलोमीटर है जो अमिला मोड़ से होते हुए कनछ के रास्ते बसुहारी तक के निर्माण का प्रस्ताव पास हुआ तो वहीं इस काम में अब वन विभाग अपना दोहरा चरित्र भी दिखा रहा जिस पैमाने पर उसी क्रम में हर घर नल जल योजना के कार्य को कराने हेतु वन विभाग मंजूरी देता है लेकिन सड़क निर्माण में सेंचुरी यारिया का हवाला देकर कार्य रोक दिया जाता है जिसके बाद वन विभाग के इस दोहरे चरित्र पर हर कोई हैरान है
बात करें अगर पटवध बसुहरी मार्ग के मौजूदा स्थिति की तो सड़क का आलम कुछ ऐसा है की ठीक से पैदल चलना भी दुभर हो जाए ऐसे में स्वास्थ्य और शिक्षा व्यवस्था पर भी इसका बुरा असर पड़ना लाजमी है मार्ग की मौजूदा स्थिति को अगर देखें तो जीवन दायिनी एंबुलेंस हो या निजी वाहन से किसी मरीज को उपचार के लिए बेहतर संसाधन या तो प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र चोपन होता है या जिला अस्पताल जबकि दोनों की दूरी स्थानीय निवासियों से तकरीबन 50 किलोमीटर है ऐसे में जर्जर हो चुके इस मार्ग से तय समय में पहुंचना लगभग नामुमकिन है ।
सवाल उठता है की ऐसे में अगर कोई मरीज चाहे वह प्रसव समस्या से जूझती कोई महिला हो या अन्य के साथ कोई जनहानि होती है तो किसकी जिम्मेवारी तय होगी
सरकार गड्ढा मुक्त सड़क का अगर दावा करती है और गड्ढे में तब्दील हो चुकी इस सड़क को देखें तो दावे की हकीकत कुछ और दिखती है जन चर्चाओं की माने तो संबंधित सड़क वर्ष 2004 में जब बनी थी तब वन विभाग द्वारा आपत्ति क्यों नहीं लगाई गई कुछ ऐसी बातें भी इस दौरान सामने आई
एक ओर जहां 2024 के लोकसभा चुनाव की तैयारियों में जुटी भाजपा हर तरह का जोर लगाते हुए अपने विकास के एजेंडे को गिनाते नहीं थक रही तो ऐसे में सोनभद्र की जनता ने भी सत्ता दल को लगातार दो बार यहां से सांसद दिया एक बार 2014 में छोटेलाल खरवार भाजपा से सांसद चुने गए दूसरी बार भाजपा सहयोगी पार्टी अपना दल एस से पकौड़ी लाल कोल को जनता ने जिताया बावजूद यहां की जनता आज इस मार्ग को लेकर दुस्वारियां झेल रही।
वहीं इस समस्या को लेकर अपना दल एस के जिला महासचिव श्यामाचरण गिरी ने भी वन विभाग के इस दोहरे रवैए पर सवाल उठाते हुए नाराजगी व्यक्त की और कहा कि उच्च अधिकारी सरकार की छवि खराब करने को लेकर पूरी तरह से आमदा हैं जिसका खामियाजा आगामी चुनाव में भी भुगतना पड़ सकता है अगर ऐसे अधिकारियों पर तत्काल नकेल नहीं कसी गई तो इन अधिकारियों के विरोध में मजबूरन हमें प्रदर्शन करना ही विकल्प होगा सरकार लगातार जनहित में काम कर रही लेकिन ऐसे अधिकारी उस पर पलीता लगा रहे